जयपुर। 8 March Women Day 2024 को पूरी दुनिया में बड़ी धूम-धाम से सेलिब्रेट किया जा रहा है। इस बार विश्व महिला दिवस के मौके पर मॉर्निंग न्यूज इंडिया आपको राजस्थान की उन महिलाओं के बारे में बता रहा है जिन्होंने अपने दम पर शानदार दुनिया का अपने दम का लोहा मनवाया और खुद के साथ ही राजस्थान और देश का नाम दुनिया में रोशन किया। ऐसी ही राजस्थान की एक महिला दिव्यकृति सिंह हैं जिनकी घुड़सवारी का लोहा पूरी दुनिया मान चुकी है। तो आइए जानते हैं कि राजस्थान की दिव्य कृति सिंह कौन हैं और इन्होंने घुड़सवारी में क्या कारनामा करके दिखाया।
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दिव्यकृति सिंह बनी अर्जुन अवॉर्ड पाने वाली पहली महिला
घुड़सवार दिव्यकृति सिंह को अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। ऐसे में वो देश के सबसे प्रतिष्ठित खेल पुरस्कारों में से एक अर्जुन अवॉर्ड पाने वाली देश की पहली महिला घुड़सवार हैं। उनको राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में अर्जुन अवॉर्ड प्रदान कर सम्मानित किया है। इतना ही नहीं बल्कि दिव्यकृति पिछले 5 सालों में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित होने वाली राजस्थान राज्य की एकमात्र महिला भी हैं। ऐसे में यह कार्य खुद दिव्यकृति सिंह ही नहीं बल्कि राजस्थान के लिए भी गर्व वाला है। दिव्यकृति इक्वेस्ट्रियन में एशियाई खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला भी हैं।
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दिव्यकृति सिंह ने भारत को 41 साल बाद दिलाया स्वर्ण पदक
दिव्यकृति सिंह की बदौलत घुड़सवारी में भारत को 41 साल के लंबे इंतजार के बार स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ है जो कि एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। दिव्यकृति भारतीय घुड़सवारी ड्रेसेज टीम की सदस्य भी हैं। साल 2022 में दिव्यकृति का एशियन गेम्स में चयन नहीं हो सका था, परंतु उन्होंने हार नहीं मानी और प्रेक्टिस जारी रखी जिसके फलस्वरूप पिछले साल वो स्वर्ण पदक प्राप्त कर सकीं।
एशिया में नंबर 1 है दिव्यकृति की रैंकिंग
दिव्यकृति सिंह रियाद, सऊदी अरब में अंतर्राष्ट्रीय ड्रेसेज प्रतियोगिता में रजत और 2 कांस्य पदक जीत चुकी हैं। अब उन्होंने मार्च 2023 में अंतर्राष्ट्रीय एक्वेस्ट्रियन फेडरेशन की ओर से जारी ग्लोबल ड्रेसेज रैंकिंग में एशिया में नंबर 1 और विश्व में नंबर 14वां स्थान प्राप्त किया।
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नागौर जिले की रहने वाली हैं दिव्यकृति सिंह
41 साल बाद घुड़सवारी में भारत को स्वण पदक दिलाने वाली दिव्यकृति सिंह राजस्थान के नागौर जिले की रहने वाली हैं। पिछले कुछ वर्षों से दिव्यकृति जर्मनी में घुड़सवारी की ट्रेनिंग ले रही हैं। उनके पिता विक्रम सिंह राठौड़ राजस्थान पोलो संघ से जुड़े रहे हैं ऐसे में घुड़सवारी उन्हें विरासत में मिली है।
दिव्यकृति सिंह की स्कूलिंग व कॉलेज
दिव्यकृति ने अजमेर के मेयो कॉलेज गर्ल्स स्कूल और द पैलेस स्कूल जयपुर से शिक्षा प्राप्त की है। इसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के जीसस एंड मैरी कॉलेज से की और इस दौरान ही वो यूरोप में (नीदरलैंड, बेल्जियम, जर्मनी, ऑस्ट्रिया) में घुड़सवारी की ट्रेनिंग ले रही थीं। दिव्यकृति ने विश्व में घुड़सवारी की राजधानी माने जाने वाले वेलिंगटन-फ्लोरिडा, संयुक्त राज्य अमेरिका में भी ट्रेनिंग ली थी।