त्रिकोणीय संघर्ष।
क्या अगली बार बनेगी पूर्ण बहुमत की सरकार या होगी त्रिशंकु सरकार?
आम से आम आदमी को रिझाने आम की ऋतु आने से पहले आमराई खुशबू बिखेर रही है। आगामी विधानसभा की चुनावी तैयारी के मद्देनजर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ पंजाब के जुझारू युवा मुख्यमंत्री भगवंत मान 13 मार्च को अजमेरी गेट पर जनसभा को संबोधित करेंगे।
क्या होगा खास?
अन्य पार्टियों से राजनीति की सीख लेकर ,शतरंज की चाल सीखने के बाद केजरीवाल ने भी सिक्खों और पंजाबियों का दिल जीतने के लिए भगवंत मान को मजबूती से चुनावी रैली में शामिल किया है। राजनीतिक दलों के समुदाय विशेष को साधने की तैयारी शुरू हो गई है। इसी कड़ी में यह रैली सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। इस समय केजरीवाल दूरदर्शिता दिखाते हुए अपने रणनीतिक कौशल का भरपूर प्रयोग कर रहे हैं।
पड़ोस को साधने की तैयारी।
दिल्ली की सीमा और पंजाब की सीमा से लगे राजस्थान को साधने की केजरीवाल की तैयारी जोरों पर है। उनका मुख्य केंद्र बिंदु राजस्थान होने वाला है। स्वयं की सीमाओं का विस्तार उनकी रणनीति का कितना कारगर सिद्ध होगा? यह तो जनता के मूड पर निर्भर है ।किंतु कांग्रेस ,भाजपा और आप का यह त्रिकोणीय संघर्ष गुर्जर प्रतिहार और राष्ट्रकूट के त्रिकोणीय संघर्ष की याद जरूर दिलाएगा।
सॉफ्ट पावर पॉलिसी।
केजरीवाल अपने सॉफ्ट टारगेट के लिए जाने जाते हैं। इसी नीति का अनुसरण करते हुए। वे आगामी विधानसभा चुनाव में लोगों का दिल जीतेंगे। बीजेपी कांग्रेस की आंतरिक कल का भरपूर फायदा उठाने की कोशिश करेंगे। जनता के मन को टटोलना दिलचस्प होगा। क्योंकि राजस्थान की जनता भी विकल्प तलाश रही है ।ऐसे में क्या होगा इस त्रिकोणीय संघर्ष का परिणाम? यह इनके प्रबल दावेदारों के चमत्कारी व्यक्तित्व पर भी निर्भर करेगा।
शक्ति प्रदर्शन।
राजस्थान में आगामी चुनाव का बिगुल ,शंखनाद शुरू हो चुका है। रैली, बैनर ,पोस्टर चुनाव सभाओं, त्योहार के बहाने मिलन समारोह की धूम देखने को मिल रही है। अब देखना होगा कौन अगली सरकार बनाएगा या फिर यहां त्रिशंकु सरकार देखने को मिलेगी राजस्थान में?