- छात्रसंघ चुनाव रद्द होने की ये हैं बड़ी वजह
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सफल क्रियान्वयन के कारण लिया फैसला
- चुनावों में धनबल और भुजबल का खुलकर प्रयोग
राजस्थान में होने वाले छात्रसंघ चुनावों को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। एक तरफ जहां छात्रसंघ चुनावों को लेकर छात्रनेता तैयारियों में जुटे हुए थे वहीं शनिवार रात सरकार के आदेश के बाद सभी हताश हो गए। राजस्थान के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव 2023-2024 सत्र में नहीं होंगे। राज्य सरकार के इस फैसले से हजारों छात्रनेताओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।
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छात्रसंघ चुनाव रद्द होने की ये हैं बड़ी वजह
छात्रसंघ चुनावों को लेकर जो असंमजस की स्थिति बनी हुई थी वो क्लीयर हो गई है। 12 अगस्त को कई सारे मुद्दों पर चर्चा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई थी जिसमें सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान कुलपतियों ने छात्रसंघ चुनावों में धनबल और भुजबल का खुलकर प्रयोग करने और लिंगदोह समिति की सिफारिशों का उल्लघंन होने की स्थिति स्पष्ट की। इसी के साथ कुलपतियों ने छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने की राय भी दी। सभी की राय को देखते हुए राज्य सरकार ने छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने के आदेश जारी किए।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सफल क्रियान्वयन के कारण लिया फैसला
शिक्षा विभाग ने आदेश जारी करते हुए बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का सफल क्रियान्वयन हो, उसमें कोई बाधा नहीं आए, इसलिए यह फैसला लिया गया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के घटकों को लागू करना चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों की विभिन्न परीक्षाओं के परिणाम जारी करने चालू सत्र के लिए प्रवेश की स्थिति, न्यूनतम 180 दिवस अध्यापन कार्य करवाना चुनौतीपूर्ण हैं।
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बता दें कि इससे पहले भी छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए थे। प्रदेश में 2004 से 2009 तक छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए गए थे। इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से वापस छात्रसंघ चुनावों के लिए हरी झंडी दी गई और 2010 से छात्रसंघ चुनाव होने लगे। इसके बाद कोरोना काल में वर्ष 2020 और 2021 में भी छात्रसंघ चुनाव नहीं करवाए गए थे।