कुछ वर्ष पहले राजस्थान में हड़प्पा सभ्यता से संबंधित अवशेषों की खुदाई चल रही थी। इस खुदाई के दौरान पुरातत्व वैज्ञानिकों को उस समय खाए जाने वाले 7 प्रकार के लड्डू भी मिले थे जो कीचड़ में जम जाने के कारण सुरक्षित रह गए थे। बाद में जांच के दौरान पता चला ये लड्डू हाई प्रोटीन से भरपूर मल्टीग्रेन लड्डू थे जो ताकतवर्द्धक थे।
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राजस्थान के अनूपगढ़ में मिले थे ये लड्डू
‘जर्नल ऑफ आयोलॉजिकल साइंस: रिपोर्ट्स’ में छपी रिसर्च के अनुसार 2014 से 2017 के बीच राजस्थान के बिंजोर में हड्डप्पा सभ्यता से जुड़े अवशेषों की खोज की जा रही थी। इसी दौरान रिसर्चर्स को वहां पर दो बैलों की मूर्तियां, सात बड़े आकार के भूरे रंग के लड्डू एवं तांबे के अज मिले थे। बाद में इन सभी चीजों की जांच की गई, जिसमें कई चौंकाने वाले रहस्य उजागर हुए।
लगभग 2600 ईसा पूर्व (यानि आज से करीब 4600 वर्ष पूर्व) बनाए गए ये लड्डू अच्छे से संरक्षित थे। संयोगवश इनके ऊपर एक अन्य कठोर संरचना इस तरह गिरी थी कि लड्डू उसके नीचे सुरक्षित हो गए और टूट नहीं। साथ ही वहां पर कीचड़ होने की वजह से लड्डू धीरे-धीरे सूख कर जम गए। इन पर जैसे ही पानी डाला गया तो बैंगनी रंग के हो गए।
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हाई प्रोटीन वाले मल्टीग्रेन आटे से बने थे लड्डू
जब इन लड्डुओं की जांच की गई तो पता चला कि ये जौ, गेहूं, छोले तथा अन्य कई प्रकार के अनाज, तिलहनों से मिलाकर बनाए गए थे। मूंग दाल की अधिकता वाले इन लड्डुओं में प्रोटीन की अत्यधिक मात्रा थी और इन्हें संभवतया प्रसाद तथा अनुष्ठान के रूप में प्रयोग किया जाता था। इन्हें ताकत पाने के लिए भी खाया जाता होगा। इनके साथ-साथ वैज्ञानिकों को बैलों की मूर्तियां, श्रृंगार और हड़प्पा की सील भी मिली थी।
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