जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan election) के मैदान में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही बड़े दलों ने सभी 200 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए है। इसी के साथ राजस्थान के चुनावी रण की तस्वीर भी साफ हो गई है। सूचियों को देखें तो एक बात सामने आती है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों के पास अब समान अवसर हैं। मैदान की स्थिति लगभग एक जैसी हैं। तो दोनों के सामने बागियों का भी संकट हैं। लेकिन चुनाव इस बार वैसा नहीं है, जैसा हर बार होता है। यह राजस्थान का अब तक का सबसे जटिल चुनाव होगा।
हम जीतने के लिए सामूहिक रूप से काम कर रहे
इसी बीच कांग्रेस के सीएम को लेकर भी अन्दरूनी हलचल देखने को मिल रही है। वैसे चुनाव टिकट वितरण की बात करें तो एक बार तो यह साबित हो ही गया कि सचिन पायलट आलाकमान की आंखों का तारा है। इस चुनाव में वें मौन भी है तो पूरे फॉम में भी नजर आ रहे है। इस बीच राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने एक मीडिया इंटरव्यू में पूछे गए सवाल कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी तो सीएम कौन होगा? इस पर सचिन पायलट ने मुस्कुराते हुए इशारों इशारों में सब कुछ साफ भी कर दिया। इसी के साथ उन्होनें सीएम गहलोत और उनके बीच सबंधों को लेकर कहा कि हम जीतने के लिए सामूहिक रूप से काम कर रहे हैं। व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं हैं।
हमारा पहला लक्ष्य बहुमत हासिल करना
सीएम बनने की चर्चा केवल अभी अटकलें हैं। हमारा पहला लक्ष्य बहुमत हासिल करना है। निर्वाचित विधायकों के लिए एक लाइन का प्रस्ताव पारित करना, कांग्रेस नेतृत्व को राज्य के लिए सीएम तय करने देने की परंपरा रही है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। आगे भी पार्टी में यही परंपरा चलेगी। सचिन पायलट ने कांग्रेस के वफादारों के दलबदल पर कहा कि ये सब चुनाव के समय लगा रहा है। हमारी पार्टी में इतना विरोध नही जितना बीजेपी में देखने को मिल रहा है, बीजेपी ने तो चुनाव में सांसदों को उतार दिया और अब इसकी समस्या से जूझ रही है।
कांग्रेस ने सबसे जिताऊ उम्मीदवारों को दिया टिकट
बीजेपी ने उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया है। बीजेपी को टिकट बंटवारे को लेकर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। हमारे पास टिकट वितरण को लेकर कुछ मामूली समस्याएं हो सकती हैं। कांग्रेस पार्टी ने लोगों को उनके जमीनी काम, फीडबैक और सर्वेक्षण रिपोर्ट का आकलन करने के बाद चुना गया है। कांग्रेस ने सबसे जिताऊ उम्मीदवारों को टिकट दिया है। जहां तक पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं का सवाल है तो इससे कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।
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