लेटेस्ट न्यूज से अपडेट रहने के लिए हमारे फेसबुक पेज व यूट्यूब चैनल से जुड़ें।
Rajasthan News : उदयपुर। मेवाड़ राजघराने को लेकर काफी सुर्खियां बटोरी हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं विश्वराज सिंह मेवाड़ और उनके चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई को लेकर है। इस मामले में अब प्रशासन का रोल भी अहम हो गया है……तो चलिए जानते है कि आखिर…क्या है पूरा मामला? क्यों मेवाड़ के समर्थकों ने हाईकोर्ट में केविएट दाखिल किया? और ये विवाद कहां तक जाएगा? आइए जानिए क्या है पूरा मामला?
बता दें कि विश्वराज सिंह मेवाड़ मेवाड़ राजघराने के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, और इनका नाम पिछले कुछ समय से मीडिया में खूब चर्चा में रहा है….हाल ही में उनके समर्थकों ने एक बड़ा कदम उठाया और हाईकोर्ट में केविएट दाखिल किया। इसका मतलब है कि वे चाहते हैं कि अगर इस मामले में सामने वाला पक्ष कोई याचिका दायर करता है, तो उनका पक्ष भी सुना जाए।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर यह केविएट क्यों दाखिल किया गया? दरअसल, 26 नवंबर की रात प्रशासन ने एक विवादित स्थल को अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया था। इसके खिलाफ अगर कोई याचिका दायर करता है, तो विश्वराज सिंह और उनके समर्थक चाहते हैं कि उनकी बात भी सुनी जाए….वकील नरेंद्र सिंह कछवाह ने साफ कहा है कि अगर इस मामले में सुनवाई होती है, तो उनका पक्ष भी महत्वपूर्ण है और उसे सुना जाना चाहिए।
इस विवाद के बीच विश्वराज सिंह मेवाड़ का एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा कार्यक्रम है….जिसके तहत वह एकलिंगनाथजी मंदिर कैलाशपुरी दर्शन के लिए जाएंगे..। लेकिन यहां भी एक और मुद्दा सामने आया है। विश्वराज सिंह ने स्पष्ट किया कि वह शांतिपूर्ण तरीके से दर्शन करना चाहते हैं और कोई भी विवाद नहीं चाहते। लेकिन मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष बालूसिंह कानावत ने कहा है कि परंपरा के अनुसार पहले धूणी माता के दर्शन होते हैं, और उसके बाद ही एकलिंगनाथजी के दर्शन होते हैं।
यह भी पढ़ें :- Naresh Meena से मिली MLA Indra Meena, घबराई टोंक कलेक्टर, ये खास इंतजाम किया
अब बात करते हैं धूणी माता मंदिर की, जो सिटी पैलेस में स्थित है और मेवाड़ राजघराने की कुलदेवी है। यह मंदिर अरविंद सिंह मेवाड़ के नियंत्रण में है, जो विश्वराज सिंह के चाचा हैं। यह परंपरा काफी पुरानी है और मेवाड़ राजघराने के लिए किसी भी धार्मिक अवसर से पहले धूणी माता के दर्शन करना अनिवार्य माने जाते हैं। यहां पर विश्वराज सिंह, जो चित्तौड़गढ़ में राजतिलक की रस्म के बाद उदयपुर आए थे, उनको उनके चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ ने धूणी माता मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया। यह घटना उन दोनों के रिश्तों में तनाव और बढ़ गया, क्योंकि अरविंद सिंह इस मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख हैं । अब सवाल यह है कि यह विवाद कहां तक जाएगा, क्या हाईकोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करेगा? और क्या मेवाड़ राजघराने के बीच की परंपराओं और प्रशासनिक अधिकारों के बीच कोई समझौता हो पाएगा? इसका जवाब तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।
लेटेस्ट न्यूज से अपडेट रहने के लिए हमारे फेसबुक पेज व यूट्यूब चैनल से जुड़ें।
India is known for handmade crafts. Our artisans make beautiful items with their hands, keeping…
In today’s time, everyone wants to do their own business. But the biggest problem is…
World Health Day : विश्व स्वास्थ्य दिवस हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाता है…
टोंक। विगत तीन वर्षों से अपने शैक्षणिक नवाचारों से चर्चित राहोली के पीएमश्री राजकीय उच्च…
जयपुर। हाल ही में समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन के द्वारा दिए गए विवादित…
जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऋषि गालव भाग द्वारा 30 मार्च, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नववर्ष पर…