राजस्थान की राजनीति में भंवरी देवी हत्याकांड (Bhanwari Devi Case) ऐसा कलंक है जिसकी चर्चा करते ही नेताओं के गंदे कारनामों की पूरी फिल्म याद आ जाती है। लेकिन इन दिनों भंवरी देवी हत्याकांड एक बार फिर सुर्खियों में आया। हाईकोर्ट ने भंवरी देवी के बच्चों को उसकी पेंशन और रिटायरमेंट समेत सरकारी सेवा से जुड़े सभी लाभ देने का आदेश दिया है। इस हत्याकांड में अभी तक भंवरी की हत्या का कोई प्रमाण नहीं मिला था जिसके कारण उसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी नहीं बन पाया था।
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मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं किया जारी
भंवरी देवी की बेटियों ने पेंशन पाने के लिए आवेदन किया तो जिला प्रशासन ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर दिया। प्रशासन ने बताया की अभी तक भंवरी देवी की हत्या के (Bhanwari Devi Case) बाद उसकी न तो बॉडी मिली न ही अंतिम संस्कार हुआ है। ऐसे में बिना मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा सकता। भंवरी देवी की सरकारी नौकरी थी, लेकिन उसका पति नॉमिनी था, लेकिन वह खुद हत्या में शामिल था। ऐसे में उसकी बेटी ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।
लाश जलाकर राख नहर में बहा दी गई
एएनएम भंवरी देवी के पति अमरचंद ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। (Bhanwari Devi Case) राज्य सरकार में तत्कालीन मंत्री महिपाल मदेरणा सहित अन्य लोगों पर शक जाहिर किया। इस बीच राज्य सरकार ने जांच सीबीआई को सौंप दी। महिपाल मदेरणा को गिरफ्तार कर लिया। भंवरी का अपहरण कर उसकी हत्या की गई और शव जला कर उसकी राख को नहर में बहा दिया गया।
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बेटियों को पेंशन का इंतजार
भंवरी की मां और दो बेटियों को पेंशन के लाभ का इंतजार कई सालों से है। (Bhanwari Devi Case) पेंशन के लिए आवेदन किया तो विभाग ने भंवरी देवी के मृत्यु प्रमाण पत्र के बिना पेंशन और दूसरे लाभ देने से मना कर दिया। सरकार ने अनुकंपा पर नौकरी दी थी, लेकिन मृत्यु प्रमाण पत्र न होने के कारण पेंशन चालू नहीं की गई थी।जोधपुर कलेक्टर ने भंवरी देवी का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने से मना कर दिया।