जयपुर। Bhog Certificate : तिरुपति मंदिर के लड्डू में जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिलने के विवाद के बाद राजस्थान में फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट की ओर से मंदिरों में प्रसाद चेकिंग के लिए विशेष अभियान (Bhog Certificate in Rajasthan) चलाया जाएगा। 23 से 26 सितंबर तक मंदिर में सवामणी और नियमित रूप से दिए जाने वाले प्रसाद के नमूने लिए जाएंगे। फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट के अतिरिक्त आयुक्त पंकज ओझा ने बताया कि मुख्यमंत्री की पहल पर राजस्थान में चलाए जा रहे अभियान शुद्ध आहार, मिलावट पर वार के तहत यह जांच की जाएगी। इसमें सभी बड़े मंदिर, जहां रोजाना प्रसाद भोग के रूप में बनाया जाता है। ऐसे सभी मंदिरों में विभिन खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के 54 मंदिरों, जिन्होंने भोग सर्टिफिकेट के लिए आवेदन (Bhog Certificate Registration in Rajasthan) किए हुए हैं। उनके भी वेरिफिकेशन की कार्रवाई की जाएगी। प्रसाद की गुणवत्ता के साथ गंदगी, हाइजीन का भी निरीक्षण किया जाएगा। इसके लिए राजस्थान के संबंधित सभी विभागों को जानकारी दी जा रही है। विशेष टीम बनाकर यह अभियान चलाया जाएगा। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने इट राइट इनिशिएटिव प्रोग्राम के तहत भोग के लिए एक सर्टिफिकेशन स्कीम शुरू की है। इस स्कीम के तहत, धार्मिक स्थलों पर प्रसाद बेचने वाले वेंडर्स और खाने-पीने की चीजों का सर्टिफिकेट दिया जाता है। यह प्रमाण पत्र खाद्य सुरक्षा के मानकों और हाइजिन सेनेटाइजेशन की पालना करने वाले मंदिरों धार्मिक स्थानों को दिया जाता है।
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ओझा ने बताया कि इस स्कीम का मकसद धार्मिक स्थलों पर स्व अनुपालन बढ़ाना है। इस स्कीम के तहत मिलने वाला सर्टिफिकेट जारी होने की तारीख से दो साल तक लागू (Bhog Certificate Expiry Timing) रहते हैं। इस स्कीम के तहत फंडिंग की जिम्मेदारी धार्मिक स्थल की अथॉरिटी, राज्य का संबंधित विभाग या कॉरपोरेट कर सकता है। इसमें अगर कोई बड़ा मामला सामने आता है तो राज्य का संबंधित विभाग इन पर कार्रवाई कर सकता है। निर्धारित मानकों का उचित पालन नहीं होने पर सर्टिफिकेट कैंसिल भी किया जा सकता है।
खाद्य सुरक्षा और औषधि नियंत्रण विभाग जयपुर की ओर से राजस्थान में अब तक कुल 54 धार्मिक स्थलों मंदिरों को भोग सर्टिफिकेट के लिए पंजीकृत (Bhog Certificate Registration) किया गया है। राजस्थान में अब तक 14 धार्मिक स्थलों मंदिरों के पास भोग का प्रमाण पत्र है। जयपुर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर भोग प्रमाण-पत्र प्राप्त (Moti Dungri Ganesh Ji Temple Bhog Certificate) करने वाला प्रथम धार्मिक स्थान है। इस प्रकार का प्रमाण-पत्र प्राप्त धार्मिक स्थान पर दिए जाने वाला प्रसाद FSSI के मानकों और गुणवत्ता की सुनिश्चितता को प्रमाणित करता है। यह सर्टिफिकेट हर 6 माह में ऑडिट के बाद रिन्यू किया जाता है। सर्टिफिकेट के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण की टीम मंदिर रसोई की कमियों, जरूरतों, कार्य और मापदंड के पालन का पता लगाकर रिपोर्ट तैयार करती है।
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