राज्यसभा सांसद वरिष्ठ नेता डॉक्टर किरोडी लाल मीणा के साथ पुलिस की बदसलूकी व मारपीट के विरोध में प्रदेश भाजपा के कई दिग्गज नेता, कार्यकर्ता उनके समर्थन में जुटे। साथ ही आज 12 मार्च कॉन्ग्रेस के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के साथ-साथ उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ भी किरोडी लाल मीणा का हाल चाल पूछने s.m.s. पहुंचे। शीघ्र रेफर करने की मांग। दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक कर पीता है ।यही हाल हो रहा है किरोडी लाल मीणा का भी। उन्हें अपना पुराना आंदोलन और उससे उपजी परेशानियां फिर से याद आ गई। सीमेंट फैक्ट्री के आंदोलन में उनके शरीर के जिस हिस्से पर चोट आई थी। वही अब फिर से परेशानी खड़ी हो रही है।
जयपुर के एसएमएस में भर्ती किरोड़ी लाल मीणा ने दिल्ली एम्स में अपने इलाज की इच्छा जाहिर की है ।उन्होंने बताया कि उनके शरीर के बाएं हिस्से में दर्द है ।गर्दन में भी अभी दर्द है और खड़े होते ही उल्टी और चक्कर जैसी स्थिति भी बनी हुई है। डॉक्टरों की मानें तो उनकी स्थिति में सुधार है।
क्यों हुआ ऐसा?
पिछले कई दिनों से वीरांगनाओं के साथ आंदोलन में शामिल किरोड़ी लाल मीणा और पुलिस के साथ हुई उनकी शुक्रवार की झड़प का यह परिणाम निकला कि वे चोटिल हुए ।उनके कपड़े फाड़े गए और हिरासत में लेकर पुलिस थाने से अस्पताल पहुंचाया गया। कई दिनों से ठीक से भोजन और पानी ना पीने की वजह से वे डिहाइड्रेशन के शिकार भी हो गए हैं। जिनसे उनका स्वास्थ्य बिगड़ा और अब उन्होंने जयपुर से दिल्ली ऐम्स में रेफर की मांग की है।
वीरांगनाओं का क्या कहना है?
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से शनिवार को शहीद वीरांगनाओ ने अपना पक्ष रखा।
शहीद हवलदार रमेश कुमार डागर की पत्नी वीरांगना कुसुम ने कहा कि देवर को नौकरी देने की मांग नियमानुसार नहीं है धरने पर बैठी वीरांगनाओं की यह मांग नाजायज है ।शहीद के बच्चों की जगह दूसरे पारिवारिक सदस्यों के लिए नौकरी की मांग के दुष्परिणाम अन्य वीरांगनाओं को भी झेलने पड़ेंगे।
छवि धूमिल।
अन्य वीरांगनाओं का कहना है कि इस तरह से देवर या जेठ के लिए नौकरी मांगने से वीरांगनाओं की छवि प्रभावित होती है।
कल को यदि उन्होंने परिवार की जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया तब क्या होगा? अथवा उन्हें तलाक देकर दूसरा विवाह कर लिया तब आगे का क्या समाधान होगा?
ऐसे में उचित मांगों के लिए आंदोलन जायज है। किंतु अनुचित मांगों के लिए आंदोलन करना उचित नहीं। इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीरांगना तथा उनके बच्चों के पक्ष में उचित निर्णय का रास्ता सुझाया ,साथ ही परिवार के अन्य सदस्यों की मांग को अनुचित करार दिया।।