कोटा. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जब भी कोटा में आगमन होगा, तब उनकी ही पार्टी के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर विरोध जताते हुए प्रदर्शन करेंगे। भरत सिंह बारां जिले के खान की झोपड़िया गांव को कोटा जिले में शामिल करने की मांग के साथ, सीमलिया में कांग्रेस के एक मंडल अध्यक्ष को धमकाने और मारपीट करने के मामले में पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं करने के खिलाफ नाराजगी जताई है ।
सिंह का आरोप है कि खान की झोपड़ियां गांव नैसर्गिक रूप से बारां नहीं बल्कि कोटा जिले का हिस्सा होने के बावजूद प्रशासनिक त्रुटि की वजह से उस समय बारां जिले की सीमा में शामिल कर लिया गया था, जब कोटा और बारां जिले का विभाजन हो रहा था और बारां जिला अस्तित्व में आया था। नए जिले के गठन की इस प्रक्रिया के दौरान प्रशासनिक स्तर पर हुई त्रुटि के कारण गलत आकलन कर लिए जाने की वजह से यह गांव पलायथा क्षेत्र में कोटा के सिरे की ओर होने के बावजूद बारां जिले में शामिल कर लिया गया जबकि वहां से दोनों जिलों के बीच की विभाजन रेखा मानी जाने वाली कालीसिंध नदी बहती है। सिंह का कहना है कि जब उन्होंने इस मामले को उठाया और लगातार राज्य सरकार के स्तर पर यह मांग रखी कि खान की झोपड़ियों को बारां की जगह कोटा जिले में शामिल किया जाना चाहिए। इस गांव में 24 घंटे अवैध खनन हो रहा है। यदि यह गांव कोटा जिले की सीमा में शामिल कर लिया जाए जो कि वास्तव में कोटा जिले की सीमा में ही है तो प्रशासनिक स्तर पर यहां हो रहे अवैध खनन पर रोक लगाने की प्रभावी कार्रवाई की जा सकती है जो अभी संभव नहीं हो पा रही।
सिंह ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री राजस्थान की जनता को 19 जिले बना कर एक नया तोहफा प्रदान कर रही है जबकि वे तो केवल एक मात्र गांव को कोटा जिले की सीमा में शामिल करने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री उनकी इस मांग की लगातार अनदेखी कर रहे हैं।