अशोक गहलोत और सचिन पायलट (Congress MLA Ganesh Ghogra) की जंग में राजस्थान सरकार को 1 महीने तक होटल में रूकना पड़ा था। लेकिन गहलोत ने विश्वास मत हासिल करके अपनी सरकार बचाई थी और बीजेपी पर सरकार गिराने के आरोप लगा दिए थे। लेकिन विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस के नेता ही अपनी पार्टी के राज खोलने में लगे है जो सरकार बचाने के लिए समय गहलोत के साथ थे। इन दिनों (Ganesh Ghogra) और भारत आदिवासी पार्टी के विधायक राजकुमार रोत के बीच जुबानी जंग इस तरह हो रही है की पर्दे के पीछे के राज भी सबके सामने खोल रहे हैं।
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25 करोड़ रुपए का खोला राज
विधायक राजकुमार रोत ने विधायक गणेश घोगरा पर आरक्षण बेच देने के बयान पर घोगरा ने पलटवार करते हुए 25 करोड़ रुपए में वोट देने का राज खोल दिया। घोगरा ने कहा कि जनता के सपने बेचने वाले किसी का भला नहीं कर सकते। घोगरा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘गहलोत सरकार जब संकट में थी, तब बीटीपी विधायक राजकुमार रोत और रामप्रसाद ने 25-25 करोड़ रुपए लेकर समर्थन देने के बदले जनता के सपनों को बेच दिया। उन्हें समर्थन के बदले सरकार से क्षेत्र की समस्याओं को पूरा करने की शर्त रखनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। कांकरी डूंगरी दंगो का जिम्मेदार राजकुमार रोत को ठहराया है।
मालवीय गुरु समान थे
राजकुमार रोत ने महेंद्रजीत सिंह मालवीया और गणेश घोगरा को ‘गुरु-चेला’ कहा था। इस बयान पर घोगरा ने कहा महेंद्रजीत सिंह मालवीया वरिष्ठ कांग्रेसी नेता होने के नाते उनके गुरु समान थे, लेकिन अब वह पार्टी बदल चुके है तो उनके साथ रिश्ता खत्म हो गया है।
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‘कांग्रेस नहीं छोडूंगा’
घोघरा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी नही छोड़ेंगे, बल्कि वह इसको मजबूत करने का काम करेंगे। बीटीपी के संविधान में एक व्यक्ति को दूसरी बार टिकिट नहीं देने का प्रावधान था जिसके चलते उन्होंने बीटीपी छोड़ी थी लेकिन वह जनता को गुमराह कर दोबारा विधायक बने। आदिवासियों की मांगों को लेकर हमेशा आवाज उठाते रहेंगे।