जयपुर। Dausa By Election : राजस्थान में सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं…इनमें दौसा, देवली उनिया, सलूंबर, रामगढ़, झुंझुनूं, खींवसर और चौरासी सीटें शामिल हैं। इन सभी सीटों पर भाजपा, कांग्रेस, स्थानीय पार्टियों व निर्दलीय उम्मीदवारों द्वारा जबरदस्त तरीके से धुंआधार प्रचार किया जा रहा था जो अब थम गया है, क्योंकि आचार संहिता लागू हो गई है और 13 नवंबर को वोटिंग है, लेकिन इसी बीच कुछ ऐसा हो गया है कि दौसा सीट पर उपचुनावों पर रोक (Dausa By Election Cancel) लग सकती है क्योंकि मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है…जिसके चलते चुनाव रद्द हो सकते हैं या फिर आगे भी खिसक सकते हैं…ऐसे में आई जानते हैं कि अचानक से ऐसा क्या हुआ कि दौसा विधानसभा चुनाव रद्द हो सकते हैं और कैसे ये मामला हाईकोर्ट पहुंच गया…
राजस्थान में सात विधानसभा सीटों पर हो रहे चुनाव के बीच अब दौसा विधानसभा सीट पर उपचुनाव रद्द हो सकते हैं क्योंकि मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है…दरअसल दौसा विधानसभा के 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। जिस पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है। आपको बता दें कि अधिवक्ता नरेन्द्र कुमार मीना की ओर से दायर इस याचिका में मुख्य निर्वाचन आयुक्त, नई दिल्ली, राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त, जिला निर्वाचन अधिकारी दौसा व दौसा के रिटर्निंग अधिकारी को पक्षकार बनाया गया है।
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इस मामले से जुड़े अधिवक्ता सुरेश कुमार शर्मा और अधिवक्ता डॉ. विभूतिभूषण शर्मा ने बताया कि याचिकाकर्ता भी दौसा विधानसभा के उपचुनाव में प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ना चाहता है। ऐसे में उसने रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष नामांकन किया, लेकिन रिटर्निंग अधिकारी ने जानबूझकर उसका नामांकन पत्र नहीं लिया और बाद में उच्चाधिकारियों के साथ वीसी में व्यस्त होना बताकर नामांकन पत्र लेने से ही इनकार कर दिया।
इस याचिका में यह भी कहा गया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34 में प्रावधान है कि विधानसभा चुनाव में एसटी वर्ग के उम्मीदवार से पांच हजार रुपए लिए जाएगे, इसके बावजूद भी प्रावधानों की अवहेलना कर उससे दस हजार रुपए की वसूली कर रसीद दी गई। याचिका में कहा गया कि जब उससे फीस वसूल की गई है तो रिटर्निंग अधिकारी का दायित्व था कि वह उसका नामांकन पत्र भी स्वीकार करते।
याचिका में यह भी कहा गया है कि उसें अन्य विधानसभा क्षेत्र के मौजूदा विधायक की ओर से भी फोन कर किसी अन्य प्रत्याशी के पक्ष में समर्थन देने की बात कही गई है। ऐसे में उसें जानबूझकर दौसा विधानसभा के उप चुनाव (Dausa By Election) में हिस्सा नहीं लेने दिया गया। याचिका में गुहार की गई है कि उसका नामाकंन पत्र स्वीकार कर उसे चुनाव प्रक्रिया में शामिल किया जाए। हालांकि, नामांकन रद्द करने की वजह से पीड़ित प्रत्याशी को यदि हाईकोर्ट नामांकन करवा भी देता है तो वो चुनाव प्रचार के लिए उतना ही समय भी मांग सकता है जितना वर्तमान के प्रत्याशियों को मिला है…ऐसे में अब मामला पेचीदा हो चुका है…ऐसे में अब सारा मामला हाईकोर्ट के हाथ में हैं कि वो चुनाव रद्द करता है या नहीं…ऐसी ही ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए बने रहिए मॉर्निंग न्यूज इंडिया के साथ।
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