Deputy CM Prem Chand Bairwa: प्रदेश में भजनलाल सरकार लगातार कांग्रेस राज के अंतिम महीनों में हुए कामकाज को लेकर जांच करवाने का काम कर रही है। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि गहलोत सरकार ने अपने लोगों को फायदा पहुंचाने या फिर वोट बैंक के लिए ऐसे फैसले किए जो गलत थे। उनके फैसले सिर्फ कागजों में ही है और वह धरातल पर उतरने में बहुत समय लगेगा और इसके कारण नुकसान भी हुआ है।
कांग्रेस सरकार में राजस्थान कॉलेज एजुकेशन सोसायटी के तहत प्रदेश के कई जिलों में करीब 100 कॉलेज खोले गए थे लेकिन अब भजनलाल सरकार उनको मर्ज या बंद करने पर विचार कर रही है। सरकार ने बताया की इन कॉलेजों में कई खामियां मिली हैं और सरकार की एक हाई पावर कमेटी लगभग 300 कॉलेजों का रिव्यू करवाएगी। कमेटी संयोजक कोटा ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर कैलाश सोडानी के साथ अन्य 6 सदस्य होंगे।
कांग्रेस सरकार ने चुनावों से पहले अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए ऐसी जगह कॉलेज खोलने का काम किया जहां जरूरत नहीं थी। ऐेसे में अब उनके बारे में कमेटी जांच करेगी और समय आने पर उचित फैसला लिया जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कॉलेजों की जांच कर रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। सरकार ने एक रिपोर्ट भी तैयार कराई है जिसमें इस बात का पता चला है कि कांग्रेस सरकार ने बिना जरूरत कॉलेज खोले।
बीजेपी नेता राजेंद्र यादव का कहना है कि उस समय के हिसाब से निर्णय किए थे और कुछ कमी रह गई होगी तो रिव्यू हो जाएगा। अब नई सरकार जो निर्णय लेगी वह जनता का हित ध्यान में रखते हुए लेगी। डिप्टी सीएम व उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. प्रेमचंद बैरवा का कहना है कि छात्रों के बेहतर भविष्य को देखते हुए फैसला लिया जाएगा।
कांग्रेस सरकार ने अंतिम साल में कॉलेज की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ा दी गई जिसमें करीब 60 ऐसे कॉलेज है महज 5 किलोमीटर दायरे में पुराने कॉलेज के पास है। इस वजह से नए कॉलेजों में प्रवेश की संख्या बहुत कम है जो चिंता का विषय है। लगभग 50 से ज्यादा कॉलेज ऐसे हैं जिनमें छात्र संख्या 100 से कम है जबकि औसत 300 छात्रों की संख्या होना जरूरी है।
जहां एनरोलमेंट की संख्या कम है सरकार ऐसे कॉलेजों को मर्ज या बंद करने की तैयारी में है। ऐसे कॉलेज जो पुराने या नए कॉलेज से काफी कम दूरी पर हैं तो ऐसे कॉलेजों को मर्ज किया जा सकता है। पंचायत स्तर पर खुले कॉलेज को लेकर ज्यादा विचार किया जा रहा है।
सरकार ने बताया की मौजूदा समय में लगभग 20 प्रतिशत से भी कम के पास अपनी खुद की बिल्डिंग है। 250 से ज्यादा कॉलेज किराए की बिल्डिंग में चल रहे हैं। कुछ के लिए नई बिल्डिंग बनाई गई है, मगर उनमें शिफ्टिंग का काम पूरा नहीं हुआ है। विद्या सम्बल योजना और अस्थाई शिक्षकों के भरोसे कॉलेज चल रहे है।
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