ब्यावर। ब्यावर के सुरजपोल गेट के बाहर स्थित बांके बिहारी मन्दिर में जगन्नाथ रथयात्रा के अन्तिम दिन सत्संग कार्यक्रम में नन्दकिशोर सैन द्वारा भजनों की प्रस्तुतियां दी गई। इस दौरान बडी संखया में भक्तगण मंदिर परिसर में उमड पड़े। इस दौरान महाप्रभूजी का रथवेश में श्रृंगार किया गया। इस दौरान नंदकिशोर सेन ने गणपति वंदना गजानंद बेगा आओ जी… के बाद एक से बढक़र एक भजनों की प्रस्तुतियां देकर उपस्थित श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।
मर्जी हो जब लभी चले आना
भजन गायक नंदकिशोर ने सेन ने रघुवर का सेवक लगता है…., मर्जी हो जब लभी चले आना…, राधेजी झूलन चाली…, जय-जय भगवान जगन्नाथ…, मेकी अंखिया करे इंतजार सांवरे… तथा राधे-राधे बोल श्याम आएंगे… सहित अन्य भजन प्रस्तुत किए। सत्संग के अंत में पंडित जितेन्द्र दाधीच ने भगवान जगन्नाथ की आरती उतारी। आरती के बाद भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा को पुष्प वर्षा करके श्रद्धालुओं ने नम आंखो से वापस पधारने का आग्रह करते हुए भावभीनी विदाई दी। जिसके बाद ठाकुरजी के चरणो में पुष्प अर्पित कर भगवान जगन्नाथ अभिषेक नगर स्थित अपने निजधाम के लिए प्रस्थान कर गए।
वापसी यात्रा कर भगवान जगन्नाथ ननिहाल से पधारे निजधाम
भगवान जगन्नाथ की वापसी यात्रा में बडी संख्या में महिला तथा पुरूष श्रद्धालु शामिल थे। वापसी यात्रा में शामिल श्रद्धालु कीर्तन करते हुए भगवान जगन्नाथ के जयकारे लगाते हुए चल रहे थे। मालूम हो कि आसाढ़ मास की शुक्लपक्ष की द्वितीया को भगवान जगन्नाथ अपने बडे भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा के साथ रथ मे सवार होकर रथयात्रा के माध्यम से शहर के प्रमुख मार्गो से भ्रमण करते हुए अपने ननिहाल बांके बिहारी मन्दिर में नौ दिन के लिए पधारे थे। बांके बिहारी मन्दिर में भगवान के आगमन पर 9 दिनों तक प्रतिदिन अनेक धार्मिक आयोजन हुए, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तजनों ने भाग लेकर धार्मिक लाभ प्राप्त किया।