Dravyavati Nadi Jaipur : गुलाबी नगरी जयपुर देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सबसे अच्छी बसावट वाले शहरों में से एक माना जाता है। रियासतकालीन समय में नाहरगढ़ और आमेर की पहाड़ियों से होते हुए शहर में 47 किमी. लंबी नदी निकलती थी जिसे द्रव्यवती नदी (Dravyavati Nadi Jaipur) कहा जाता था। फिर धीरे धीरे आबादी बढ़ने के साथ ही शहर बढ़ता गया और नदी छोटी होती चली गई और आखिर में वो एक नाले में तब्दील हो गई जिसे हम अमानीशाह नाले के तौर पर जानने लगे। हर तरफ अतिक्रमण, सीवरेज और गंदगी के चलते अमानीशाह नाला जयपुर (Amanishah Nala Jaipur) का सबसे गंदा नाला बन गया। बारिश के मौसम में यह नाला शहर की सुंदर छवि को धूमिल करने लगा। तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने 1800 करोड़ रुपये का द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट (Dravyawati River Project Jaipur) चलाकर इसे शानदार नदी का रुप दिया था लेकिन अब यह फिर से नाले में तब्दील होती नजर आ रही है। जानते है जयपुर की द्रव्यवती नदी की दर्दभरी दास्तान…
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पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने द्रव्यवती नदी (Dravyavati Nadi Jaipur) की दुर्दशा को दूर करने का बीड़ा उठाया और इसकी कायापलट की जिम्मेदारी लेते हुए इस बारे में विचार किया। जिसके बाद साल 2013 में 1800 करोड़ रुपये की द्रव्यवती रिवर फ्रंट परियोजना को अमली जामा पहनाया। लेकिन अरबों रुपये खर्च करके शहर की सुंदरता बढ़ाने वाली द्रव्यवती नदी एक बार फिर दुर्दशा की शिकार है। नाले से नदी बनी द्रव्यवती नदी दोबारा नाला बनने की कगार पर है।
करीब 47.5 किमी की लंबाई वाली इस नदी में 5 सीवरेज ट्रिटमेंट प्लांट लगाए गये। जिनमें 300 छोटे बडे नालों के साथ सीवरेज का पानी रिसाइकिल कर रिवर में छोड़ा जाना था ताकि सालभर द्रव्यवती नदी (Dravyavati Nadi Jaipur) में स्वच्छ पानी बहता रहे। तेज बारिश की स्थिति में पानी के निकास की भी व्यवस्था प्रोजेक्ट में की गई थी। साथ ही साथ 5 लाख वर्ग मीटर में ग्रीन बैल्ट और नदी के किनारों पर साइक्लिंग और पैदल चलने वाले के लिए ट्रैक भी तैयार किया जाना था। जुलाई, 2018 में आधी अधूरी योजना का सीएम साहिबा ने उद्घाटन भी कर दिया गया और उम्मीद जताई गई कि ये द्रव्यवती नदी जयपुर की सुंदरता में चार चांद लगाएगी, लेकिन इतने साल बाद भी ऐसा कुछ होते नहीं दिख रहा है। जबकि अब तो राजस्थान में बीजेपी की सरकार भी बन चुकी है।
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अब जानते है कि आखिर समस्या कहां पर आ रही है। पहली समस्या तो ये है कि आज भी शहर के लोग इसे नदी (Dravyavati Nadi Jaipur) की जगह अमानीशाह नाले का ही बदला रूप मानते हैं इसलिए इसकी स्वच्छता की ओर ध्यान नहीं देते हैं। किनारों पर बने तीनों पार्कों में आने वाले लोग कचरा इसी में डाल देते हैं। 300 छोटे बड़े नालों के साथ कंपनियों का वैस्ट भी इसी पानी में छोड़ा जा रहा है जिसके चलते कई जगहों पर कीचड़ की इतनी मोटी परत जम गई है कि पत्थर भी फेंका जाए तो वो वहीं अटक जाता है। हालांकि जेडीए समय समय पर सफाई करवाता रहता है। लेकिन फिर भी कोशिश काफी नहीं है। जेडीए के इस प्रोजेक्ट को बनाने और मेंटेन करने वाली कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स ने अब इस पर ध्यान देना बंद कर दिया है।
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गुर्जर की थड़ी वाले इलाके में पानी में वैस्ट मेटेरियल बहाया जा रहा है, तो दुर्गापुरा इलाके में काई और कीचढ़ की ढाई इंच तक मोटी परत साफ देखी जा सकती है। हसनपुरा इलाके में तो ये नदी (Dravyawati River Project Jaipur) अभी भी अमानीशाह नाला ही कहलाने योग्य है। टोंक रोड और मानसरोवर इंस्ट्रीयल एरिया (RIICO Mansarovar Dravyawati) में जरूर द्रव्यवती का वो रूप देखने को मिलता है जो सच में जयपुर की एक नई तस्वीर को दिखाता है, मगर वो नाकाफी है।
हालांकि राजस्थान सरकार ने गंदगी हटाने के लिए भारी भरकम आधुनिक मशीनें भी लगाई हैं, लेकिन एक तरफ सफाई हो रही है तो दूसरी तरफ उससे चार गुना ज्यादा कचरा फैलाया जा रहा है। कहने का सीधा मतलब जिस रफ्तार से काम होना चाहिए था, वो कछुआ गति से चल रहा है। कुल मिलाकर द्रव्यवती नदी परियोजना (Dravyawati River Project Jaipur) अब राम भरोसे है। जबकि भजनलाल सरकार चाहे तो इसे फिर से शानदार कर सकती है।
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इतना ही नहीं, जनता और विपक्ष ने भी अब इस रिवर फ्रंट की दशा पर सवाल उठाने बंद कर दिए हैं। बाक़ी रही सही कसर कोरोना महामारी ने पूरी कर दी। जिसके चलते यह द्रव्यवती नदी परियोजना भुला दी गई है। ऐसे में हम भजनलाल सरकार (CM Bhajanlal Sharma) और जवाबदेह लोगों से अपील करते हैं कि गुलाबी नगर की आबोहवा और सुंदरता को निखारने के लिए उठाए गए इस कदम को गंभीरता से लें और जयपुर की इस नई जीवन धारा द्रव्यवती नदी (Dravyawati River Project Jaipur) पर ध्यान देना शुरु करे। खुद से शुरुआत करें तो कोई काम नामुमकिन नहीं है।
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