जयपुर- जाट मुख्यमंत्री बनाने की मांग एक बार फिर तुल पकड़ती जा रही है। इस बार यह मांग राजस्थान कृषि उद्योग विकास बोर्ड के अध्यक्ष रामेश्वर डूडी ने उठाई है। रामेश्वर डूडी ने जाट मुख्यमंत्री बनाने की मांग के साथ साथ जातिगत जनगणना करवाने का मुद्दा भी उठाया है। डूडी ने कहा यह मांग सिर्फ मेरे अकेले की नहीं है यह मांग पूरा जाट समाज कर रहा है। राजस्थान में बड़ी संख्या में जाट समाज निवास करता है। जाट समाज अपना अधिकार ले कर रहेगा। रामेश्वर डूडी ने कहां इस मांग को लेकर पार्टी के नेताओं को भी अवगत करवा दिया गया है।
जातिगत जनगणना से होगी तस्वीर साफ
राजस्थान कृषि उद्योग विकास बोर्ड के अध्यक्ष एवं पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने जाट मुख्यमंत्री के साथ-साथ जातिगत जनगणना का मुद्दा भी उठाया है। डूडी ने कहा जनगणना करवा लीजिए सारा दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जाएगा। राजस्थान में जाट सबसे बड़ा समाज है। जाट समाज अपना हक लेना जानता है और वह अपना अधिकार लेकर रहेगा। जाट मुख्यमंत्री की मांग आज नई नहीं है इससे पहले भी मांग सालों से उठती हुई आई है। डूडी ने कहा जातिगत जनगणना में पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी। यदि जातिगत जनगणना होती है तो उसमें यह सामने आएगा कौनसा समाज कितना प्रतिनिधित्व करता है।
जाट महाकुंभ से पकड़ी थी मांग ने जोर
जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में 5 मार्च को जाट महाकुंभ का आयोजन किया गया था। इस दौरान बड़ी संख्या में जाट समाज के लोगों ने शिरकत की थी। जाट महाकुंभ में जाट समाज के कई बड़े नेता भी शामिल हुए थे। जाट महाकुंभ के दौरान मंच को संबोधित करते हुए यह मांग रामेश्वर डूडी ने उठाई थी। डूडी ने कहा था जाट समाज नंबर वन की कुर्सी पर होना चाहिए। रामेश्वर डूडी द्वारा बीकानेर जिले के नोखा के पास किसान सम्मेलन का आयोजन भी किया गया था जिसमें डूडी ने शक्ति प्रदर्शन दिखाया।
जाट सीएम की मानसिकता से बिगड़ सकता है समीकरण
चुनावी साल में जाट मुख्यमंत्री बनाने की मांग जातिगत समीकरण बिगाड़ सकती है। इसका असर साफ तौर पर अन्य समाजों पर भी देखने को मिलेगा। एक मंच से भावनात्मक रूप से उठी मांग के पीछे कई बड़े नेता अपनी राजनीतिक रोटियां भी सेक रहे हैं। जाट मुख्यमंत्री की मांग के बाद अन्य समाज भी मांग उठा सकते हैं। जाट महासंघ के बाद ब्राह्मण समाज की ओर से भी महासम्मेलन का आयोजन किया गया था जिसमें समाज ने ब्राह्मण मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठाई थी। राजपूत ओबीसी और अन्य जातियां भी इस मांग को प्रमुखता से उठा चुकी हैं। चुनाव से पहले ही जातिगत आधार पर मुख्यमंत्री बनाने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। हर समाज अपना मुख्यमंत्री बनाने की मांग पर हुंकार भर रहा हैं।