जरूरत से ज्यादा जयपुर में ई-रिक्शा, क्या कर रहे हैं आपको भी ट्रैफिक में जाम?
अपनी लंबी चौड़ी सड़कों के लिए विश्वविख्यात गुलाबी नगरी जयपुर आज हो रही है खस्ताहाल।
कौन है इसका जिम्मेदार? सरकार, प्रशासन या बढता व्यवसायिकरण?
इको फ्रेंडली परिवहन का साधन ई रिक्शा क्या सचमुच इको फ्रेंडली साबित हो रहा है?
शहर में ई-रिक्शा की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है आवश्यकता से अधिक ई-रिक्शा अन्य वाहनों के लिए परेशानी और दुर्घटना का सबक बन रहे हैं। इतना ही नहीं यह सुरक्षा मानकों पर भी खरे नहीं उतर रहे।
आज शहर में जितने भी ई-रिक्शा चल रहे हैं।क्या वे मोटर व्हीकल रूल्स से अप्रूवल हैं। यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है। क्योंकि वाहन व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट, (VRDE) और आटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया(ARAI) से अप्रूवल प्राप्त हुए वाहन ही सुरक्षा व परिचालन की दृष्टि से श्रेष्ठ माने जाते हैं।
सुरक्षा व परिचालन की दृष्टि से यह जरूरी है कि इन ई रिक्शा वाहनों की स्पीड, संचालन,परिचालन पर नियम विनिमय तय हो। कौन-कौन सी बड़ी समस्याएं सड़क पर चल रहे आम इंसान के साथ साथ वाहन चालको को भुगतनी पड़ रही है? सबसे पहली समस्या तो इनकी स्पीड की आती है ।इन की स्पीड क्या हो ,क्या यह तय किया गया है? स्पीड के साथ-साथ इस में बैठने वाले लोगों की क्षमता कितनी है? यह भी तय होना चाहिए।
क्यों नहीं इनको नंबर प्लेट वितरित की जाती ?बिना नंबर प्लेट के होने वाले एक्सीडेंट के लिए कौन जिम्मेदार होगा? क्या कभी सोचा है शासन-प्रशासन और परिवहन अधिकारियों ने? सड़क पर जब चाहे ,जहां चाहे यह ई रिक्शा वाहन खड़े करके ट्रैफिक जाम कर देते हैं ।ना कोई पुलिस वाला इन्हें रोकने वाला ना कोई और और, कह देंगे तो झगड़े करने को उतारू रहते हैं। इनके साथ एक समस्या यह भी है कि अब यह इको फ्रेंडली ना होकर पर्यावरण प्रदूषण का पर्याय बनते जा रहे हैं। इन में इस्तेमाल होने वाली लिथियम की बजाय लीड एसिड बैट्री घातक सिद्ध हो रही है।घटिया बैटरी बीएस मानकों पर खरी नहीं उतर रही। जिससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ा रही है। इतना ही नहीं ई-रिक्शा वाहन संचालक विद्युत विभाग को भी चूना लगा रहे हैं ।अधिकांश ई-रिक्शा घरेलू बिजली से संचालित हो रहे हैं ।जिसकी वजह से विद्युत विभाग को करोड़ों रुपए का चूना लगता है। इतना ही नहीं ,कभी-कभी चार्जिंग के दौरान शॉर्ट सर्किट जैसी घटनाएं भी देखने को मिलती है।
ई-रिक्शा का बढ़ता व्यवसायीकरण भी, जी का जंजाल बनता जा रहा है रोज शहर में 10 से 15 नए ई रिक्शा सड़क पर उतर रहे हैं। जिससे सड़कों का जाम बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में अधिकांश ई-रिक्शा पंजीकृत भी नहीं है ।वे अवैध रूप से चल रहे हैं। करीब 40,000 ई रिक्शा में 28000 ई रिक्शा मुश्किल से पंजीकृत है। इतना ही नहीं ई रिक्शा चलाने वाले स्वयं भी परेशान हैं क्योंकि उन्हें यह ई रिक्शा महंगे किराए पर मिलता है। इतना तो वे रोज कमा भी नहीं पाते हैं। फिर प्रश्न उठता है कि आखिर इन ई रिक्शा से किसको फायदा हो रहा है?
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