Rajasthan Politics: राजस्थान की सियासत में नई और पुरानी पीढ़ी के नेताओं में वर्चस्व की लड़ाई को लेकर जबरदस्त जंग देखने को मिल रही है। विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव प्रदेश की शांत राजनीति में युवा नेताओं की एंट्री से शोर मचा हुआ है और सोशल मीडिया पर उनकी दिवानगी देखते ही बन रही है। लोकसभा चुनावों में इस बार कुछ युवा नेताओं ने बड़े नेताओं की सीट पर खतरे की घंटी बजा दी है।
राजस्थान में युवाओं की दिवानगी
राजस्थान में लोकसभा चुनाव दो चरणों में हुआ पहला चरण 19 अप्रैल और दुसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को हुआ। राजस्थान में लोकसभा चुनाव की चर्चा ज्यादा नहीं होती है और राजनीति आम तौर पर शांत रहती है। क्योंकि यह चुनाव राष्ट्रीय स्तर का होता है और उसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि, यहां की सियासत राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों की राजनीति से दूर होते है। लेकिन इस बार कुछ सीटों पर युवा नेताओं की एंट्री से पूरा माहौल ही बदल गया।
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अनिल चोपड़ा
कांग्रेस ने जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से अनिल चोपड़ा को उम्मीदवार बनाया है। चोपड़ा कांग्रेस की युवा पंक्ति के सबसे चर्चित चेहरों में एक हैं और वह पायलट गुट के माने जाते है। लेकिन यहां से भाजपा ने वरिष्ठ नेता राव राजेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है जो बहुत ज्यादा अनुभवी है। इस सीट पर कोई मुकाबला नज़र नहीं आ रहा था, लेकिन चोपड़ा की उम्मीदवारी के बाद यह लड़ाई रोचक हो गई है। चोपड़ा राजस्थान विश्विद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं और कई सालों से इस सीट पर तैयारी कर रहे है। उन्हें पायलट का प्रशंसक माना जाता है और उन्हें टिकट दिलवाने में पायलट का सबसे बड़ा हाथ रहा है। इस सीट पर पायलट ने जमकर प्रचार किया है और अनिल चोपड़ा के समर्थन में एक सभा संबोधित करते हुए पायलट ने यहां तक कह दिया कि, मेरा मन यहां से चुनाव लड़ने का था।
रविंद्र भाटी
विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव रविंद्र सिंह भाटी की भी खूब चर्चा हुई है। उन्होंने देश के मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भाटी बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतर है और उनकी जीत का भी दावा किया जा रहा है। भाटी ने दोनों राष्ट्रीय दल कांग्रेस और भाजपा की नाक में दम करते हुए पहले विधायक का चुनाव जीता और जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे है। विधानसभा चुनाव से पहले वो भाजपा में शामिल हो गए थे लेकिन उनको उचित सम्मान नहीं मिलने के कारण निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। बाड़मेर लोकसभा का त्रिकोणीय चुनाव सबके लिए हैरान करने वाला है।
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राजकुमार रोत
आदिवासी अंचल से उभरा यह नाम उन राजनीति में खूब चर्चा में रहा है। विधानसभा चुनाव में राजकुमार रौत ने डूंगरपुर की चौरासी विधानसभा सीट से चुनाव जीता था। रोत भारत आदिवासी पार्टी से विधायक हैं और BAP से ही बांसवाड़ा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। रोत ने ‘भारत आदिवासी पार्टी’ बना कर तीन विधायक भी बनवा दिए। महेंद्रजीत सिंह मालवीय को वह जोरदार टक्कर देते हुए नजर आ रहे हैं।