- जुबानी जंग हुई तेज
- विधानसभा चुनाव 2023 की बजी रणभेरी
जयपुर। जल है तो जीवन है, लेकिन राजस्थान में जल पर ही रानीति गरमाई हुई है। ईआरसीपी परियोजना राजनीति की भेंट चढ़ती जा रही है। परियोजना को लेकर भाजपा व कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने में व्यस्त है। विधानसभा चुनाव 2023 की रणभेरी बज चुकी है। चुनाव के मध्य नजर भाजपा व कांग्रेस के साथ ही सभी राजनीतिक पार्टियों ने कमर कस ली है। चुनावी साल को देखते हुए नेताओं ने घर-घर जा कर जन संर्पक करना शुरू कर दिया है। महानगरों से निकल कर नेताओं ने छोटे-छोटे शहरों व कस्बों की दूरी को नापना शुरू कर दिया है।
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आम जन की भावनाओं को किया दरकिनार
चुनावी साल में सबसे बड़ा मुद्दा ईआरसीपी परियोजना बना हुआ है। भाजपा और कांग्रेस की जीत में यह रोड़ा अटका सकता है। 13 जिलों की जनता यानी की पूरे राजस्थान की 40 प्रतिशत आबादी इस योजना के धरातल पर साकार होने की उम्मीद में आज भी बेठी है। ईआरसीपी के नाम पर भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टियां अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने पर लगे है। राजनीति के चलते आम जन की भावनाओं को दरकिनार किया जा रहा है। पूरे प्रदेश का भविष्य तय करने में ईआरसीपी का मुद्दा अहम रोल निभाएंगा।
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भाजपा- कांग्रेस का आरोप प्रत्यारोप जारी
2017 में वसुंधरा सरकार ने ईआरसीपी योजना को तैयार किया था। जिसे केंद्र सरकार के पास जाचं के लिए भेजा गया। संशोधन के लिए राज्य सरकार के पास वापस भेज दिया गया। सत्ता पलट होने के बाद सीएम गहलोत ने परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग उठाई। गहलोत सरकार इस योजना पर 700 करोड रूपए खर्च कर चुकी है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा नहीं मिल सका। वहीं कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर निशाना साधते हुए कहा शेखावत इस योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं करवा पा रहे है।