जयपुर। Fadkiya Rog : बारिश का मौसम सभी जीवों को भीषण गर्मी से राहत दिलाने वाला होता है। लेकिन, यह मौसम जितना राहत भरा होता है उतना ही खतरनाक भी होता है। इसी मौसम में कई तरह की छोटी-बड़ी संक्रमित बीमारियां भी होती हैं जो सभी के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं। मनुष्यों की तरह ही भेड़-बकरियों के लिए भी बारिश का मौसम बीमारियां लेकर आता है। इन जानवरों में होने वाली ऐसी ही एक बीमारी एंटरोटॉक्सिमिया है जिसको फड़किया बीमारी भी कहा जाता है। यह बीमारी ज्यादा खाने की वजह से होती है।
बारिश में ज्यादा एक्टिव होता है बैक्टीरिया
पशु विशेषज्ञों के अनुसार बारिश के दौरान इस बीमारी के बैक्टीरिया बहुत अधिक एक्टिव होता है। पशु वैज्ञानिक भी अभी तक इस बीमारी का इलाज नहीं खोज पाए हैं। परंतु समय रहते भेड़ बकरियों को वैक्सीनेशन कराने से इस बीमारी की रोकथाम की जा सकती है। यह बैक्टीरिया बकरियों से ज्यादा भेड़ों को नुकसान पहुंचाता है।
देश के 63 शहरों में अटैक करती है बीमारी
आंकड़ों के अनुसार फड़किया बीमारी जुलाई के दौरान देश के 29 शहरों में भेड़ और बकरियों को अपना शिकार बन सकती है। जुलाई के महीने में ही फड़किया का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। देश के कुल 63 शहरों में फड़किया बीमारी अटैक कर सकती है।
फड़किया बीमारी के लक्षण
भड़ बकरियों में होने वाली फड़किया बीमारी होने पर सबसे पहले भेड़-बकरियों को दस्त होते हैं। इसके बाद एक दम से दस्त बंद हो जाते हैं। फिर दो दिन बाद अचानक से उनमें अत्यधिक कमजोरी आ जाती है और वो चल भी नहीं पाती। हालांकि, वो चलने की कोशिश करती हैं लेकिन लड़खड़ा कर गिर जाती हैं। इसके उन्हें फिर से एक-दो दस्त भी खून के साथ आने लगते हैं। इसके बाद उसकी मौत हो जाती है। यह सब उस पशु की आंत में अचानक से पनपने वाले बैक्टीरिया की वजह से होता है।
बीमारी से बचाने के लिए करें ये उपाय
भेड़ बकरियों के झुंड को जब बाहर खुले में चरने के लिए लेकर जाएं तो पहले उसें सूखा चारा और मिनरल्स जरूर खिलाएं। खूब मात्रा में सूखा चारा खूब खिलाने से हरे चारे में मौजूद नमी का स्तर सामान्य हो जाता है। सूखे चारे के तौर पर कई तरह का भूसा दिया जा सकता है। जबकि, मिनरल्स में खल, बिनौले, चने की चूनी आदि दे सकते हैं।