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फ्रेंडशिप डे पर यादों का खुला खजाना, किस्से याद कर कभी खिले चेहरे तो कभी आंखे हुई नम

तेरे जैसा यार कहां कहां ऐसा याराना, याद करेगी दुनिया तेरा मेरा अफसाना…….दोस्ती का रिश्ता कितना नायाब और खास होता है यह वही जानता है, जिसने इस रिश्ते को पूरी ईमानदारी से निभाया हो। इसी दोस्ती को सेलीब्रेट करने के लिए मनाया जाता है फ्रैंडशिप डे। जो इस वर्ष 2023 में 6 अगस्त को मनाया जाएगा। बचपन में दोस्तों के साथ मस्ती, छोटी-छोटी शैतानियां, किसी का टिफिन छुपकर खा जाना तो किसी को छेड़कर भाग जाना। यह सब वो यादें हैं जो सभी अपने बचपन में जीते हैं।

बड़े होने पर यह किस्से और कहानियां बन जाती हैं। इन्हीं यादों के बस्ते को खोलने का काम किया मार्निंग न्यूज इंडिया ने। शहर की अलग-अलग फील्ड से जुड़े और कई सालों से अपनी दोस्ती को निभा रहे दोस्तों के साथ फ्रेंडशिप डे सेलीब्रेट कर। जहां सभी ने अपने बचपन से लेकर अब तक की दोस्ती की खट्टी-मीठी यादों को सभी के साथ सांझा किया। कार्यक्रम का संचालन अम्बिका शर्मा ने किया। 

शंकर शर्मा ने अपनी दोस्ती के किस्से को याद करते हुए बताया कि मेरे लिए दोस्ती का सफर खट्टा मीठा रहा। इस सफर ने मुझे कुछ मीठी यादें दी तो कुछ खट्टी यादें भी दी। अपने दोस्तों को याद करते हुए किस्से बताते हुए उन्होंने कहा कि एक दौर था जब हमारे पास साधन बहुत कम हुआ करते थे और हम पैदल ही अपने दोस्तों के साथ घूमने निकल पड़ते थे। एक गाड़ी पर ही कई दोस्त सवार होते और कहीं भी निकल जाते। हमें पता नहीं होता था जाना कहां है बस निकल पड़ते थे। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसमें दोस्त से बढ़कर कुछ नहीं। एक बार एक दोस्त को उसके मोटापे को कम करने का सबक देने के लिए नाहरगढ़ तक पैदल ले गए। जब उसे चढ़ाई करने में परेशानी हुई तब उसने कसम ली कि वो अपना वजन कम करेगा। ये होता है दोस्ती का रिश्ता। बिना किसी फायदे के अपने दोस्त के लिए कुछ करना परिवार के बाद यह सिर्फ दोस्त ही सोचते हैं। 
शंकर शर्मा

विजय मीणा ने अपनी दोस्ती के किस्सों को याद करते हुए कहा कि आज भी हम हमसफर से पहले दोस्त हैं और अपनी दोस्ती के किस्सों को याद करते हैं। पहले दोस्त मिलते थे मस्ती करते थे पर आज दोस्ती सोशल मीडिया पर सिमट कर रह गई है। उन्होंने अपने बचपन की यादों को ताजा करते हुए कहा एक वक्त था जब अपने दोस्तों के साथ मिलकर स्कूल बंक किया करते थे। उसके बाद मैं चित्तौड़ से जयपुर आ गया जहां मेरी मुलाकात उषा से हुई। मुलाकात खट्टी-मीठी नोकझोंक के साथ आगे बढ़ी और दोस्ती में बदल गई। दोनों ने एक साथ काॅलेज में पढ़ाई की और जॉब भी की। दोस्ती ऐसी थी कि दोनों में से किसी का भी मन दूसरे के बिना नहीं लगता था। यही नहीं किसी को भी दूसरे के साथ ज्यादा समय बिताते हुए भी देखना अच्छा नहीं लगता था। फिर इस रिश्ते को जीवनभर यूं ही कायम रखने के लिए एक वक्त ऐसा आया जब दोनों ने शादी करने का फैसला किया। दोनों की शादी में पूरा आॅफिस बाराती और घराती बना। जो सभी के लिए यादगार शादी थी। अब शादी के इतने सालों बाद भी दोस्ती पहले है। कोई भी बात हो दोनों एक दूसरे से पहले शेयर करते हैं। दूसरों के लिए हमेशा ही एक आश्चर्य का विषय होता है कि हम कैसे मन की बात अपने पार्टनर से शेयर कर पाते हैं। क्योंकि दोस्ती आज भी वही पुरानी है। 
विजय मीणा

उषा मीणा भी विजय के साथ अपनी दोस्ती को याद करते हुए कहती हैं कि मैं खुशकिस्मत हूं जो मुझे विजय जो जैसा दोस्त मिला। आमतौर पर पति से सब बातें शेयर कर पाना पत्नी के लिए मुमकिन नहीं होता जो हमारे लिए बहुत आम है। आज हम दोनों हमसफर भी हैं और बेस्ट फ्रैंड भी। मैं अपनी हर खुशी और अपना हर गम अपने दोस्त के साथ बांटती हूं। जब से मेरी जिंदगी में विजय आए हर कमी को पूरा कर दिया। दोस्ती और प्यार के रिश्ते को कैसे निभाना है यह मैंने उनसे ही सीखा। वो कभी भी मेरी आंखों में आंसू नहीं आने देते। 
उषा मीणा

रेणू अपनी दोस्ती को याद करते हुए कहती है कि दोस्ती हमेशा बेवजह होती है। यदि वजह के साथ दोस्ती की जाए तो वह दोस्ती नहीं उस दोस्ती में मिलावट होती है। दोस्ती एक खुबसूरत एहसास है। रेणु ने दोस्ती के किस्से को याद करते हुए कहा कि उनकी एक दोस्त संध्या माहेश्वरी जो कि झांसी की रहने वाली है। दोनों अक्सर साथ कॉलेज जाया करते थे। एक बार संध्या ने उनसे कहा कि वह कॉलेज नहीं आएगी। इसपर मैंने भी उस दिन जाने से मना कर दिया। तो संध्या ने मुझे समझाया कि मुझे कॉलेज जाना चाहिए और जो उसने मिस किया मुझे उसे वह बताना है। ऐसे ही मेरी दोस्ती मधुमिता और सारिका से भी रही। वहीं मेरी जिंदगी में और भी कई दोस्त हैं जैसे मोनिका, जसप्रीत, डाॅ आरती, विजया, डाॅ लता और डाॅ अनु जिनसे भी बहुत खास रिश्ता है। 
रेणू शब्द मुखर

सारिका बताती हैं कि जीवन में जब कोई साथ नहीं देता तो दोस्त होतें हैं जो आपके साथ खड़े होते हैं। दोस्ती भगवान का दिया हुआ अनमोल तोहफा है। मेरे लिए दोस्ती चमत्कार है। रेणु, मधुमिता के साथ अपनी दोस्ती के किस्से याद करते हुए वे कहती हैं कि तीनों का रिश्ता बहनों की तरह है। कोई भी दूसरे का दुख दूर से ही जान जाता है। कोविड में भी जब सब बंद था हम एक दूसरे से दूर से ही मिल लेते थे। पति और परिवार भी जानता है हम एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते। इसलिए कभी भी मिलने से मना नहीं करते। मेरी बीमारी के समय में भी ये दोस्त ही मेरा सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम थे। 
सारिका अग्रवाल

मधुमिता का कहना है कि दोस्ती ईश्वर का दिया नायाब तोहफा है। इसे ही सुरीली आवाज की धनी मधुमिता ने यारा तेरी यारी को कहां ऐसा याराना, याद करेगी दुनिया तेरा मेरा अफसाना गाना गाकर बताया। दोस्ती को ताउम्र निभाना आसान नहीं होता। वे बताती है कि वक्त के साथ हमारी दोस्ती और निखरती है जितनी गहरी दोस्ती होगी उतना ही रिश्ता गहरा होगा। मधुमिता ने रेणू और सारिका से साथ अपनी दोस्ती के किस्से को याद करते हुए बताया कि तीनों की पहली मुलाकात आज भी यादगार है। 
मधुमिता सेन

राजेश बताते हैं कि उनके सभी दोस्त उनके लिए तोहफा हैं। अपनी दोस्ती को याद करते हुए वे कहते हैं कि कुछ लोग दोस्ती स्वार्थ से करते हैं मैं कहता हूं जहां स्वार्थ होता है वहां दोस्ती हो ही नहीं सकती। दोस्ती वह होती है जहां बिना कुछ कहे चेहरा पढ़ कर दोस्त की परेशानी को जान लिया जाता है। दोस्त ही है तो परेशानी में भी हंसा सकते हैं। राजेश ने अपनी दोस्ती के एक किस्से को याद करते हुए कहा मेरे पैर में बहुत दर्द रहता है, मैंने अपने दोस्त से कहा यार मुझे चलने में बड़ी तकलीफ होती है। तो उसने कहा जहां दर्द होता है उस पैर को काटकर अलग कर दे। जब उसका यह जवाब सुना तो मैं अपना दर्द भूल कर जोर से हंसने लगा। राजेश ने कहा मैं बहुत किस्मत वाला हूं जो मुझे ऐसे दोस्त मिले हैं जिन्होंने हर मोड़ पर मेरा साथ दिया। तन मन और धन‌ तीनों से मेरे दोस्तों ने मेरे साथ दोस्ती निभाई। आज उम्र का एक पड़ाव पार कर लिया है लेकिन आज भी वह दोस्त मेरे साथ खड़े हैं। जिन्हें देखकर चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान आ जाती है।
राजेश पारीक 
 

Ambika Sharma

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