Government Higher Secondary School Raholi: पीएमश्री राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय राहोली प्रधानाचार्य डाॅ.योगेन्द्र सिंह नरूका नेशनल सेन्टर फाॅर स्कूल लीडरशिप, राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान,नई दिल्ली द्वारा ‘सरकारी स्कूलों में समानता, विविधता और समावेश के लिए नेतृत्व’ विषय पर राष्ट्रीय स्तर कार्यशाला में राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया। यहां उन्हें सम्मानित भी किया गया। कार्यशाला में सफल भागिदारी के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान नई दिल्ली के वाइस चांसलर प्रोफेसर अविनाश कुमार सिंह ने डाॅ नरूका को सम्मानित किया। इस राष्ट्रीय स्तरीय कार्यशाला के लिए राजस्थान से दो प्रधानाचार्यों का चयन हुआ था। जिसमें टोंक से डाॅ.योगेन्द्र सिंह नरूका का चयन हुआ।
दिल्ली में 5 से 8 नवम्बर तक कार्यशाला हुई
इस कार्यशाला में एक एजुकेशन जोन की मांग भी उठाई गई। डाॅ.नरूका ने कहा कि (सेज) स्पेशल इकोनॉमिक जोन की तर्ज पर ही स्पेशल एजुकेशन जोन की भी स्थापना की जानी चाहिए। जो प्रत्येक राज्य के प्रत्येक जिला में हो। यहां विविध आवश्यकताओं, क्षमताओं और दिव्यांग विद्यार्थियों को विशेष शैक्षिक सेवाएं और सहायता मिले।
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डाॅ.नरूका ने कहा कि स्पेशल एजुकेशन जोन समावेशी,व्यक्तिगत और अभिनव शिक्षा के माध्यम से विविध क्षमताओं वाले विद्यार्थियों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुँचाने में सशक्त बनाएगा। इस माॅडल को लागू करके,विशेष शिक्षा क्षेत्र विविध आवश्यकताओं वाले छात्रों के लिए एक व्यापक और सहायक वातावरण प्रदान कर सकता है, जिससे उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में मदद मिलेगी।
ड्राप आउट बच्चों का कराया रीएडमिशन
इस मुहीम के दौरान स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को भी तलाश किया गया। राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान नई दिल्ली की प्रोफेसर डाॅ. चारू स्मिता मलिक ने दिल्ली में चल रही कन्स्ट्रक्शन साइट्स में रहने वाले ऐसे बच्चों को ढूंढा जो सम्बन्धित सर्वेक्षण कार्य दिया जो कि किन्ही कारणवश विद्यालय नही जा पाते। डाॅ.पूजा सिंघल के नेतृत्व में टीम का निर्माण किया गया। जिसमें अनिशा सिंह उत्तर प्रदेश, कुलविन्दर सिंह पंजाब, डाॅ.योगेन्द्र सिंह नरूका राजस्थान, विश्वजीत सिंह उड़ीसा, प्रकाश चन्द मध्यप्रदेश को शामिल किया गया। इस टीम ने दिल्ली के महरौली एरिया में चल रही कन्स्ट्रक्शन साइट्स का सर्वेक्षण किया।
जिस दौरान 11 बच्चों को चिन्हित कर जो दिल्ली में माता-पिता के मजदूरी करने के कारण पढ़ाई छोड़ चुके हैं। मजदूरों को जानकारी नहीं थी कि दिल्ली जैसे महानगर में उनके बच्चें पढ़ाई कैसे करें। टीम ने सभी बच्चों को पास के ही केन्द्रीय विद्यालय में प्रवेश दिलवाया। जिससे बच्चों और अभिभावक के चेहरे पर खुश और चमक आई।
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