Hanuman Beniwal News : जयपुर। राजस्थान में चुनावी-प्रचार के दौरान कांग्रेस और बीजेपी नेताओं की बयानबाजी चरम पर है। वहीं राजस्थान की सबसे हॉट सीट खींवसर पर बवाल मचा हुआ है। यहां पर RLP और कांग्रेस, बीजेपी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होगा। लेकिन असली टक्कर बीजेपी उम्मीदवार रेवंत राम डांगा और RLP उम्मीदवार कनिका बेनीवाल (Kanika Beniwal) के बीच होगी। लेकिन इसी बीच हनुमान बेनीवाल और कांग्रेस नेता दिव्या मदेरणा के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है, आइए जानते है क्या है पूरा माजरा?
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ऐसे शुरू हुई लड़ाई
बता दें कि इस लड़ाई की शुरूआत कांग्रेस नेता दिव्या मदेरणा के एक पोस्ट से शुरू हुई थी। उन्होंने हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) पर निशाना साधते हुए कहा था कि नागौर और खींवसर में किस तरह के हालात हैं, और पिछली बार चुनाव में कितने वोटों से वह जीते थे। अबकी बार हालत बहुत खराब है। सुबह 4-4 बजे तक लोगों के पैर पकड़ रहे हैं। इसके बाद हनुमान बेनीवाल ने दिव्या मदेरणा पर पलटवार करते हुए कहा था कि 2019 में अशोक गहलोत और उनके बेटों के सामने तुम्हारा पूरा परिवार ठुमके लगा रहा था। जबकि, तुम्हारे पिता को उसने जेल भेजा था।
हनुमान बेनीवाल ने वीडियो में दिव्या मदेरणा को लताड़ लगाते हुए दिख रहे है। उन्होंने कहा है मैं भले ही रात के 4 बजे प्रचार करू, आपको क्या दिक्कत है, मैं क्या औसिया में घूम रहा हूं। क्या में रात के चार बजे आपके घर आया हूं क्या?आपके घर का दरबाजा बजाया हूं क्या? हनुमान बेनीवाल ने कहा है कि चुनाव में लड़ रहा हूं आपको क्या परेशानी है? इसके बाद हनुमान बेनीवाल ने दिव्या को फटकार लगाते हुए कहा है कि आप बीजेपी को वोट डलवाना चाहती हो?
दिव्या मदेरणा ने हनुमान बेनीवाल पर बोला हमला
दिव्या मदेरणा ने हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) द्वारा दिए गए वीडियो को शेयर कर कहा है कि क्या मुझे कुए में डूब कर मर जाना चाहिए? सार्वजनिक सभा में मेरे ही समाज के चुने हुए एक सांसद मेरे मरने की कामना कर रहे है। उन्हें बेहद अफ़सोस हो रहा है कि मैं ज़िंदा ही कैसे हूँ । मैं भी समाज की बेटी हूँ ,बहन बेटी सबकी सांझी होती है।इसलिए संपूर्ण किसान वर्ग से पूछना चाहती हूँ कि मैंने ऐसा क्या गुनाह किया कि मुझे कुए में गिरकर मर जाना चाहिए ? मैंने पूरी ईमानदारी व श्रद्धा से ओसियां व राजस्थान के किसान वर्ग की हमेशा आवाज़ बुलंद की,क्या यही मेरा गुनाह है? विकट पारिवारिक परिस्थिति में भी मैंने हार नहीं मानी,मैं घर नहीं बैठी, मैंने मेहनत की और जनता से संवाद व जुड़ाव रखा और कारवाँ बनता चला गया । मैंने संघर्ष किया और यह संदेश देने की कोशिश कि किसान वर्ग की बेटिया भी बखूबी राजनीतिक लड़ाइया लड़ सकती है। मैं राजस्थान के हर किसान से पूछना चाहती हूँ कि क्या मुझे मर जाना चाहिए?
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