Holi Jaipur: हिन्दुओं का प्रमुख पर्व होली इस वर्ष 25 मार्च को सेलिब्रेट किया जाएगा। बसंत का महीना लगते ही होली के पर्व का इंतजार शुरू हो जाता हैं। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन होता हैं। इसी के अगले दिन रंगारंग होली खेली जाती हैं। भारत के अलग-अलग हिस्सों में होली खेलने का एक अलग ही अंदाज होता है। होली का पर्व न सिर्फ भारत के बल्कि विदेशी लोगों को भी बड़ा भाता हैं। यह भारत के उत्तरी भाग में सबसे लोकप्रिय पर्व हैं। जयपुर की होली की बात करेंगे, इस दिन विदेशी सैलानियों की भारी भीड़ उमड़ती है। पढ़ते हैं एक विदेशी महिला का जयपुर की होली का अनुभव-
होली की ख़बरों को गूगल पर खोजते हुए मैं यमन की ट्रेवल व्लॉगर/ब्लॉगर नाडा अल नहदी (Nada Al Nahdi) के ब्लॉग www.nadaalnahdi.com पर पहुंचा। यहां मैंने उनके ब्लॉग पर जुलाई 2012 में उनके द्वारा प्रकाशित एक ब्लॉग को ध्यान से पढ़ा, जिसमें वह जयपुर की अपनी होली के अनुभव के बारे में लिखती हैं। नाडा लिखती है कि, उसने जयपुर यानी गुलाबी शहर के बारे में खूब सुना था, इसलिए उसने होली इसी शहर में मनाने का फैसला किया।
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नाडा आगे लिखती है कि, जयपुर शहर में अपने नाम के अनुरूप वास्तव में गुलाबी और सुंदर हैं। यह अद्भुत हैं। यहां हवा महल जैसी जयपुर की सबसे प्रतिष्ठित संरचना है। नाडा के मुताबिक होली वास्तव में एक हिंदू त्यौहार है, जिसे दुनियाभर के अन्य देशों में वैश्विक पहचान मिल चुकी हैं। इस त्यौहार पर एक दूसरे पर रंगीन पाउडर फेंकने की परंपरा का पालन होता हैं। साथ ही पानी की बंदूकों और रंगों से भरे दिन को भारत समेत अन्य देशों में मनाते हैं।
नाडा अल नहदी लिखती है कि, उसे जयपुर की सड़कों पर होली के दिन निकलने से पहले कई बार शुभचिंतकों द्वारा चेताया गया था। उसे कहा गया था कि, सड़कों पर अकेले होली न मनाएं। लेकिन उन सब की बातों को अनसुना कर वह सड़कों पर होली बनाने का अनुभव लेने अकेले ही निकल पड़ी। इसके बाद जो हुआ वह मजेदार था। नाडा के मुताबिक, उसे सड़क पर होली के दौरान किसी भी समय खतरा या उत्पीड़न महसूस नहीं हुआ। उसे रंग लगाने के लिए लोग उसके पास आये, लेकिन वे बेहद विनम्रता के साथ उससे पूछ रहे थे कि ‘क्या वे मेरे गालों और माथे पर कुछ रंग लगा सकते हैं?’
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एक अकेली महिला के रूप में होली मनाते समय जिन बातों को ध्यान रखना होगा, वे सब नाडा ने अपने अनुभव के जरिये ब्लॉग में लिखी। उसने लिखा, होली खेलने निकलने से पहले अपनी त्वचा और बालों पर भरपूर मात्रा में लोशन या अन्य प्रकार का मॉइस्चराइज़र लगाना ठीक रहता हैं। जयपुर की सड़कों पर पर्यटक पुलिस शहर के चारों तरफ तैनात रहती हैं, ताकि सुरक्षा की चिंता न करनी पड़े। होली पर सड़कों पर भांग के डर से लस्सी पीना खतरनाक भी हैं।
नाडा के मुताबिक, शहर के हॉस्टल/होटल आमतौर पर अपने मेहमानों के लिए कम बजट में निजी उत्सव की व्यवस्था करते हैं, जो आनंददायक होता हैं। लेकिन सड़कों पर होली के दिन जाने से पहले थोड़ा सतर्क रहें, तो बेहतर रहेगा। वह बताती है कि, सड़कों पर स्थानीय महिला होली के दिन बमुश्किल ही दिखाई देती हैं क्योंकि उसे डर हैं कि होली के रंग फेंकने के नियमों का अनुचित लाभ उठाकर कुछ पुरुष उसके साथ हद पार कर सकते हैं।
अंत में नाडा लिखती है, जैसा सुना था उसके उलट उसके साथ किसी भी तरह की ऐसी चीज नहीं हुई। इसलिए पर्यटकों को इस तरह की बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। वह कहती है कि, अगली बार जब आप होली के दौरान भारत आएं, तो स्थानीय लोगों की तरह सड़कों पर जश्न मनाने से बिल्कुल नहीं डरें।
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