जयपुर। Holi Kaithoon Vibhishan Mela Kota : भारत में होली के दिन सभी जगहों पर होलीका दहन किया जाता है। लेकिन इस दुनिया में एक जगह ऐसी भी है जहां होली के दिन विभीषण का मेला लगता है और हिरणयकश्यप के पुतले का दहन किया जाता है। यह जगह राजस्थान के कोटा जिले का कैथून कस्बे में है जहां रावण के भाई विभीषण को राम भक्त मानकर पूजा जाता है और होली के अवसर पर यहां मेला लगता है। इसी मंदिर में होलिका दहन के दिन हिरण्यकश्यप का पुतला जलाया जाता है।
कोटो के कैथून में है विभषण का मंदिर (Kota Kaithoon Vibhishan Temple)
कोटा के कैथून कस्बे में देश का एकमात्र विभीषण का 5000 साल मंदिर है। यहां पर हर साल बड़ी संख्या श्रद्धालु आते हैं। होली के अवसर पर इस मंदिर में मेला लगता है। इस मंदिर से एक पौराणिक कहानी जुड़ी है जिसके मुताबिक भगवान राम के राज्याभिषेक के समय शिवजी ने मृत्युलोक की सैर करने की इच्छा प्रकट की थी। इसके बाद विभीषण ने कांवड़ पर बिठाकर भगवान शंकर और हनुमान को सैर के लिए कहा। लेकिन शिवजी ने यह शर्त रखी की जहां भी उनका कांवड़ जमीन छू जाएगा यात्रा वहीं खत्म हो जाएगी। इसके बाद विभीषण शिवजी और हनुमान को लेकर यात्रा पर निकल पड़े। कुछ जगहों पर भ्रमण करने के बाद विभीषण का पैर कैथून कस्बे में धरती पर पड़ गया जिसके बाद यात्रा यहीं खत्म हो गई। विभीषण के कांवड़ का अगला सिरा लगभग 12 किमी आगे चौरचौमा में और दूसरा हिस्सा कोटा के रंगबाड़ी क्षेत्र में पड़ा। इस वजह से रंगबाड़ी में हनुमान और चौरचौमा में शिवजी का मंदिर स्थापित किया गया। इसके बाद जहां विभीषण का पैर पड़ा, वहां विभीषण मंदिर निर्माण किया गया।
यह भी पढ़ें : Holi Karj Mukti Upay Hindi: होली का ये हैं कर्ज मुक्ति टोटका! कर्जदार भी कहेगा वाह सेठजी
हर साल धंसती है विभीषण की प्रतिमा (Vibhishan Moorti Down in Earth)
कोटो के कैथून में स्थित विभीषण मंदिर में लगी विभीषण की प्रतिमा काफी आकर्षक है। इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा का केवल धड़ से ऊपर का भाग ही दिखता है। कहा जाता है कि यह प्रतिमा हर साल जौ के दौने के बराबर जमीन में धंसती है।
यह भी पढ़ें : Holi Shayari: होली पर भेजे ये मस्त शायरी, मौज हो जाएगी बंधु
विभीषण मंदिर में होली पर लगता है (Holi Mela At Vibhishan Temple Kota Kaithoon)
कैथून में स्थित विभीषण मंदिर पर हर साल होली के अवसर पर सात दिवसीय मेला लगता है जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं। इस मेले के दौरान होलिका दहन के दिन हिरण्यकश्यप का पुतला दहन किया जाता है। कहावत है कि जब होलिका जल गई तो हिरण्यकश्यप को क्रोध आ गया और वो प्रह्लाद को मारने के लिए दौड़ा। तब भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध करके भक्त प्रह्वलाद की रक्षा की थी। इसी वजह से यहां पर होलिका दहन के दूसरे दिन हिरण्यकश्यप के पुतले का दहन किया जाता है।