शीतलाष्टमी बुधवार को मनाई जाएगी। चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी बुधवार को होने के कारण ही बास्योडा का पर्व इसी दिन मनाया जाएगा। मंगलवार को घरों में रंधा पुआ पर विभिन्न पकवान बनाए जाएंगे। इसके लिए बाजारों में मिट्टी के बर्तन और अन्य पूजन सामग्री की खरीदारी की जाएगी। दही जमा कर राबड़ी, कढ़ी पकौड़ी, बेसन की चक्की, मूंथाल, पूरी, बाजरे की रोटी और विशेष सब्जी बनाई जाएगी। साथ ही कैरी की लौंजी बनाई जाएगी। महिलाएं तड़के गीत गाते हुए मंदिर पहुंचकर शीतला माता की और पथवारी पूजन करेंगी। शीतला माता को भीगे हुए चने, पकौड़ी, दही, राबड़ी सहित विभिन्न ठंडे पकवानों का भोग लगाया जाएगा। इस दिन माता के हल्दी का तिलक लगाया जाता है और घर परिवार के सभी सदस्यों को। नवविवाहिता विशेष तौर पर मंदिर जाएंगी। शीतला अष्टमी को घरों में चूल्हे नहीं जले। जबकि गणगौर पूजन करने वाली महिलाएं कुम्हार के घर से मिट्टी लाकर गणगौर पूजन करेगी। अब तक होली की राख से गणगौर की पिंडी बनाकर पूजा की जा रही है।
शील की डूंगरी में इस बार दो दिन का होगा मेला
जयपुर के पास चाकसू स्थित शील की डूंगरी में शीतला माता के मंदिर में भव्य परंपरागत मेला भरा जाएगा। शीतला माता मंदिर के ट्रस्टी महामंत्री लक्ष्मण प्रजापति ने बताया कि 14 और 15 मार्च को 2 दिन की मेला भरेगा। जयपुर एवं आसपास के जिलों से हजारों श्रद्धालु मेले में आएंगे। कुछ भक्तों ने आना भी शुरू कर दिया है। वहीं मेले के लिए दुकानें सजनी शुरू हो गई है। मेले के लिए सभी प्रशासनिक तैयारियां पूरी कर ली गई है। पुलिस ने सोमवार से जाब्ता लगा दिया गया है। सोमवार से मेला क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी गई है शीतला माता के लिए सभी संप्रदायों के लोग भाग लेते हैं और आसपास के मुस्लिम समाज के लोग भी इसमें शरीक होते हैं।