- बलीदान दिवस पर शहीदों को किया नमन
- गौ रक्षा के लिए राजपूत वीरों ने दिया बलीदान
पुष्कर। गौ रक्षा के लिये मेड़तिया राठौड़ों का पुष्कर में मुगलों से विश्वविख्यात गौ रक्षार्थ युद्ध में शहीद हुए योद्धाओं की स्मृति में श्री जयमल न्यास एवं मां सावित्री सेवा समिति के तत्वावधान में सरोवर के मुख्य गऊ घाट पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर तर्पण दिया गया। इस अवसर पर नांद गौशाला के संत समताराम महाराज के सानिध्य में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शहीद राजपूत सरदारों को तर्पण देकर श्रदांजलि अर्पित की गयी। बाद में गऊ घाट पर एक श्रदांजलि सभा रखी गयी जिसमे अनेक राजपूत सरदार और गौभक्त मौजूद रहे।
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शहीदों को श्रदांजलि की अर्पित
समताराम जी महाराज ने वीर शहीदों को श्रदांजलि अर्पित करते हुए कहा कि गायों की रक्षा के लिये अपने प्राणों को न्योछावर कर देना बहुत बड़ी बात है। पुष्कर का यह गऊ घाट उन शहीदों की याद दिलाता रहेगा। समताराम महाराज ने कहा कि सभी को जाति और धर्म से ऊपर उठकर गायो और पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिये। युवा समाजसेवी भवरसिंह पलाड़ा ने गऊ घाट पर वीर शहीदों को श्रदांजलि अर्पित करने के बाद यज्ञ घाट के बाहर बनी पाँच वीर शहीदों की समाधि को नमन किया। वीर शहीदों को नमन करते हुए पलाड़ा ने कहा कि जो राजपूत सरदार इस देश, धर्म, गौमाता और पुष्करराज की रक्षा के लिये शहीद हो गए उनको इतिहास सदैव याद रखेगा।
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नौ योद्धाओं को दी गयी नौनेण की उपाधि
गौ रक्षार्थ विक्रम संवत 1737 भाद्रपद की सप्तमी को करीबन 700 मेड़तिया रणबांकुरे व 8000 मुगलों के बीच भीषण युद्ध हुआ था। जिसमें युद्ध की पहली रात को ही मुगलों से सभी गायों को मुक्त करा दिया गया। अगले दिन शाम तक मेड़तिया रणबांकुरों ने मुगलों से युद्ध जीत लिया था। इस धर्मयुद्ध में मुख्य नौ योद्धाओं को नौनेण की उपाधि दी गयी थी। पुष्कर में आज भी इन नौ योद्धाओं की समाधियां बनी हुई है। तथा गौमाता और ब्राह्मणों के लिए मेड़तिया राठोड़ों के इस बलिदान के लिए ही गऊ घाट का निर्माण हुआ।