UNSC : भारत लंबे समय से ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यता की मांग करता रहा है। अब अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की बात कही है। क्योंकि इससे विकासशील देशों का बेहतर प्रतिनिधत्व हो सके। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि अमेरिका ने लंबे समय से भारत-जापान और जर्मनी के लिए परिषद में स्थायी सीटों का सपोर्ट किया है। लेकिन वहीं हर बार की तरह चीन भारत के लिए रोड़ा बन सकता है, आइए जानते है क्या है पूरा माजरा?
23 सितंबर को न्यूयॉर्क में 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘भविष्य के शिखर सम्मेलन’ को ब्लिंकन ने संबोधित किया। अफ्रीका के लिए दो स्थायी सीटों, छोटे द्वीप विकासशील देशों के लिए एक रोटेशन सीट, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन के लिए स्थायी प्रतिनिधित्व पर अमेरिका का विचार रखा है। ब्लिंकन ने कहा है कि विकासशील देशों और अधिक व्यापक रूप से आज की दुनिया का बेहतर प्रतिनिधित्व करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार जरूरी है। अमेरिका का मानना है कि इसमें अफ्रीका के लिए 2 स्थायी सीटें, छोटे द्वीप विकासशील देशों के लिए एक रोटेशनल सीट और लैटिन अमेरिका और कैरिबियन के लिए स्थायी प्रतिनिधित्व शामिल होना चाहिए। देशों के लिए स्थायी सीटों के अलावा हमने लंबे समय से जर्मनी, जापान और भारत का पर्मानेंट सीट के लिए समर्थन किया है। उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका परिषद सुधारों पर तुरंत बातचीत का समर्थन करता है।
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ब्लिंकन ने दुनिया को प्रभावित करने वाली जियोपॉलिटिकल स्थिति को सुधारने के लिए यूएन के सिस्टम पर विश्वास जताया। हालांकि उन्होंने ऐसे किसी भी सुधार का दृढ़ता से विरोध किया है जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल सिद्धांतों को बदलने का प्रयास करे। उन्होंने कहा, ‘यूएस आज और भविष्य की दुनिया के हिसाब से संयुक्त राष्ट्र प्रणाली को ढालने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन हम किसी भी बदलाव के खिलाफ दृढ़ता से खड़े रहेंगे। हम यूएन चार्टर के मूल सिद्धांतों को तोड़ने, कमजोर करने या मौलिक रूप से बदलने के प्रयासों को नहीं मानेंगे।
बता दें कि भारत ने विकासशील दुनिया के हितों का बेहतर तरीके से प्रतिनिधित्व करने के लिए लंबे समय से सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट मांगी है। दुनिया के कई देशों ने इसका सपोर्ट किया है। यूएनएससी 15 सदस्यों से बना समूह है, इसके 5 स्थायी सदस्य हैं, जिनके पास वीटो की शक्ति है। 10 गैर-स्थायी सदस्य शामिल हैं जो 2 साल के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं। पांच स्थायी सदस्यों में चीन, यूके, फ्रांस, रूस और अमेरिका हैं। सोमवार को पीएम मोदी ने ‘भविष्य के शिखर सम्मेलन’ में बोलते हुए वैश्विक संस्थानों में सुधार का आह्वान किया और सुधारों को प्रासंगिकता की कुंजी करार दिया था, लेकिन पाकिस्तान और चीन की मुश्किलें बढ़ गई है, अब चीन भारत के वीटो पावर को रोकने के लिए पूरा दांव पेज खेल रहा है। लेकिन अमेरिका से हरी झंडी मिलने के बाद भारत के होशलें बुलंद है।
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