Indore- Kota News: दो मुख्यमंत्री और दो राज्यों की पुलिस और एक केंद्रीय मंत्री जिस फर्जी अपहरण कांड में उलझे हुए थे, उस कांड के मुख्य आरोपी अब पुलिस की गिरफ्त में है। इंदौर की क्राइम ब्रांच ने अपने अपरहण का झूठा ड्रामा रचने वाली काव्या धाकड़ और उसके दोस्त हर्षित को पकड़ लिया है। दरअसल, काव्या ने अपने दोस्त हर्षित के साथ मिलकर अपने पिता से तीस लाख रुपये की मांग की थी। लेकिन, अब पूरे मामले का पर्दाफाश हो गया है।
पुलिस अधीक्षक सिटी कोटा डॉ अमृता दुहन ने बताया कि, थाना विज्ञान नगर पर दर्ज प्रकरण संख्या 75/24 अन्तर्गत धारा 364 ए आईपीसी में काव्या धाकड की तलाश गठित टीम द्वारा की गई, इस दौरान वह इन्दौर पुलिस की मदद से इंदौर से ही उसे ढूढ़ने में सफल रही। जांच में पता चला कि, काव्या धाकड़ ने खुद अपने अपरहण की साजिश रची थी। इसमें उसके दोस्त हर्षित ने उसका साथ दिया। पुलिस जानकारी के मुताबिक, काव्या 03 अगस्त 2023 से लेकर 05 अगस्त 2023 तक कोटा में रही, फिर वह इंदौर आकर पढ़ाई करती रही। लेकिन इस दौरान उसने अपने पेरेंट्स को कोटा में रहने की झूठी जानकारी दी।
पेरेंट्स को किया गुमराह
काव्या इंदौर की देवगुराड़िया की शिवाजी वाटिका कॉलोनी में रह रही थी। इस दौरान उसने अपने दोस्त हर्षित के साथ कुछ दिन अमृतसर में भी गुजारे। काव्या ने इस दौरान अपने पेरेंट्स को गुमराह करके रखा। वह अपने पेरेंट्स को कोटा के एक निजी कोचिंग संस्थान के नाम से मैसेज भेजती रही।
पुलिस के मुताबिक, इन्दौर में रहते हुए उचित तैयारी नहीं होने के कारण काव्या धाकड़ को लगा कि उसका सलेक्शन नीट में नहीं हो पायेगा। यदि नीट में सलेक्शन नहीं हुआ तो माता पिता से डांट खानी पडेगी। इस बीच उसे YouTube चैनल के माध्यम से जानकारी मिली कि, रसिया में करीब 30 लाख में MBBS हो जाती है। ऐसे में उसने अपने दोस्त ब्रजेश प्रताप व हर्षित यादव के साथ मिलकर अपने पिता से रूपये ऐंठने की योजना बनाई और अपरहण का ड्रामा रचा।
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झूठी किडनैपिंग की रची साजिश
काव्या ने अपने दोस्त ब्रजेश प्रताप के कमरे पर इन्दौर में ही वीडियो बना लिए। उसे पता था कि उसके पिता जी ने हाल ही में प्लॉट का विक्रय किया है, इसलिए वह अपहरण की कहानी पर खुद ही रूपये दे देगें। प्लान के अनुसार काव्या धाकड व उसके दोस्त हर्षित यादव और ब्रजेश प्रताप 16 मार्च 2024 की रात इंदौर से रवाना होकर जयपुर आ गए। इस दौरान वह 17 मार्च को होटल में ठहरे। 18 मार्च को काव्या ने नई सिम खरीदी।
इसके बाद उसने अपने दोस्तों की मदद से अपहरण हो जाने की जानकारी अपने पिता को दी। साथ ही 30 लाख रुपये की फिरौती की भी मांग की। इसके अलावा अपने हाथ पैर बंधे एवं चोट लगी फोटो भेजकर ड्रामा रचा। पिता ने एसीपी साहब को सूचना देने की बात की तो काव्या डर गई। इसके बाद वह दोस्तों संग वापस इंदौर आ गई। इस बीच यह पूरा मामला मीडिया में हाईलाइट हो गया और पुलिस भी इंदौर पहुंच गई। इसकी जानकारी लगते ही काव्या अपने दोस्तों के संग 19 मार्च को इंदौर से ट्रेन में चंडीगढ़ होते हुए अमृतसर जा पहुंची ,.इस दौरान वे 6 दिन स्वर्ण मंदिर गुरूद्वारे में रुके और लंगर में खाना खाया।
पुलिस के हत्थे चढ़े आरोपी
रूपये नहीं होने के कारण, फिर दोनों दिनांक 28 मार्च को अमृतसर से रवाना होर इन्दौर आ गए। यहां दोनों ने देव गुराडिया इलाके में किराये से कमरा लिया और रहने लग गए। इसी जगह से इन्दौर पुलिस की मदद से काव्या और उसके दोस्त हर्षित को दस्तयाब कर लिया गया। पूरे मामले में अब जांच जारी है।