International Camelids Year 2024: संयुक्त राष्ट्र ने इस बार बड़ा फैसला लेते हुए साल 2024 को रेगिस्तानी जहाज ऊंट के नाम करने का फैसला किया है। UNO ने 2024 को अंतररार्ष्ट्रीय कैमलिड्स वर्ष घोषित किया है और इसके पीछे की वजह ऊंटों का संरक्षण करना बताया गया है। आज के इस दौर में ऊंट तेजी से कम हो रहा है और उसको लेकर किसी प्रकार का संरक्षण नहीं किया जा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा है तो वह दिन दूर नहीं जब ऊंट एक इतिहास बनकर रह जाएगा। दुनिया भर में ऊंट की सबसे ज्यादा संख्या के मामले में भारत तीसरे नंबर पर है।
भारत में सबसे ज्यादा ऊंट राजस्थान में
राजस्थान में सबसे ऊंट है और इसी वजह से 2014 में राजस्थान सरकार ने ऊंट को राज्य पशु घोषित किया था। लेकिन ऊंट संरक्षण व संवर्धन के लिए कोई विशेष प्रयास के दावे तो किए जाते है लेकिन इसके बाद भी इसका कोई अच्छा परिणाम नहीं निकल रहा है। क्योंकि तेजी से इनकी संख्या कम हो रही है और ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में यह पूरी तहर से खत्म हो जाएंगे।
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राजस्थान में ऊंटों की संख्या सबसे ज्यादा है लेकिन इनके लिए बनी कल्याणकारी योजनाएं कागजों में रह गई है। उसे संरक्षण के लिए काम करने वाले लोग कुछ नहीं कर रहे है और ऊंट को राज्य पशु घोषित करने कर बाद न तो ऊंट को बिकने दिया जा रहा है और न ही मार्केटिंग की जा रही है। ऊंटनी का दूध बहुत ज्यादा गुणकारी होता है लेकिन उसकी अच्छे से बिक्री नहीं हो पा रही है।
ऊंटशाला खोलने की मांग
ऊंट पालकों को ऊंटनी के प्रसव पर 10 हजार मिलते है और इसके आलावा कोई योजना नहीं है। प्रजनन योजना में अनुदान की किश्तें भी समय पर नहीं मिलती है। इसी वजह से मांग उठ रही है कि गोशाला की तर्ज पर ऊंटशाला ऊंट खोली जाए और ऐसा करने से ज्यादा फायदा होगा।
तेजी से गिरावट
रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाले ऊंट की संख्या तेजी से कम हो रही है। संख्या लगातार कम होने के डर से सरकार ने इसे राज्य पशु घोषित किया। लेकिन हालात जस के तस है और तेजी से इनकी घटती संख्या पर ब्रैक नहीं लग जाया है जो चिंता का विषय है।
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