Jaipur Amrit Hussain : धा धा तिरकिट ता ता तिरकिट धा, तबलों की इन अद्भुत धापों के स्वर जब हमारे कानों में पड़ते हैं तो कोई सरहद बाकी नहीं रहती है। बेशक संगीत ही वो जरिया है जिसने धर्म संस्कृति की सरहद को पार करके पूरी दुनिया को एक डोर में पिरोने का काम किया है। जयपुर के एक मुस्लिम कलाकार (Jaipur Amrit Hussain) ने गंगा जमुनी तहजीब को सात समंदर पार पहुंचाकर देश का नाम रौशन किया है। जयपुर के तबला वादक अमृत हुसैन (Jaipur Amrit Hussain) ने फ्रांस के बच्चों को न केवल राजस्थानी संगीत सिखाया है बल्कि वहां हिंदुस्तानी सभ्यता का परचम भी लहराया है। तो चलिए तहजीबों के इस अनोखे तिरकिट धा का आनंद लेते हैं, और आपको ये दिल को छू लेने वाली कहानी बताते हैं।
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जयपुर के तबलावादक अमृत हुसैन (Jaipur Amrit Hussain) पिछले 21 वर्षों से फ़्रान्स और यूरोप के देशों में तबला वादन, राजस्थानी और फ्यूजन संगीत की प्रस्तुतियां दे रहे हैं। इसी कामयाबी की बदौलत उन्हें फ़्रान्स के दो शहर संतअवरतां और औरलियो के स्कूल और संगीत विद्यालय में फ़्रान्स की मिनिस्ट्री की ओर से संगीत सिखाने का काम दिया गया है। अमृत हुसैन साहब (Jaipur Amrit Hussain) ने फ्रेंच बच्चों को तबले के बोल, केसरिया बालम, कृष्ण और राम भजन सिखाकर पारंगत कर दिया है। भारत और राजस्थान की महिमा का गुणगान फ्रांस के बच्चे की जबान पर है।
जयपुर के बनीपार्क निवासी अमृत हुसैन (Jaipur Amrit Hussain) अपने दोनों भाईयों संजय और टीपू के साथ म्यूजिक शो करते हैं। कोराना काल में भी म्यूजिक की इस तिकड़ी ने गिरिजाघरों और वृद्धाश्रम में म्यूजिकल परफॉर्मेंस देकर लोगों के तनाव को दूर किया। अमृत ने पिछले 21 वर्षों में 80 से ज्यादा देशों में तबला वादन के शोज किये हैं। तथा करीब 1 लाख से ज्यादा बच्चों को भारतीय संगीत से रूबरू करवा चुके हैं। अमृत हुसैन (Jaipur Amrit Hussain) आज भारत व जयपुर के बेहतरीन तबला कलाकारों की श्रेणी में गिने जाते हैं।
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अमृत हुसैन के मुताबिक संगीत उन्हें विरासत में मिला है। उनके घराने में 7 पीढ़ियों से संगीत की साधना इबादत की तरह जा रही है। Jaipur के Amrit Hussain बताते है कि हमारे अब्बा उस्ताद रफीक मोहम्मद साहब और दादा उस्ताद रसूल खान साहब ने हमें संगीत की तालीम दी थी। तभी से ये सिलसिला जारी है। नफरती लोगों को जो बात बात पर हिंदू मुसलमान करते हैं, उनको इस तरह की सोच पर अपना दिमाग लगाना चाहिए।
Jaipur के Amrit Hussain अपने दोनो भाईयों संजय और टीपू के साथ ही बचपन से ही राजस्थानी संस्कृति का गुणगान करते रहे हैं। परफॉर्मेंस के दौरान संजय खान जहां अपने सुरों की तपिश से फोक म्यूजिक की बानगी पेश करते हैं। वहीं, अमृत हुसैन अपनी रचनाओं और तबले की तिरकीट-धिरकिट से श्रोताओं को लुभाते हैं। जबकि टीपू खान तबले पर अपनी अंगुलियों का जादू चलाते हैं। कुल मिलाकर तीनों भाई (Amrit Hussain Brothers Trio) राजस्थानी संगीत का ताना-बाना बुनकर माहौल को गंगा जमुनी तिरकिट धा में तब्दील कर देते हैं।
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