- बच्चों को प्यासा नहीं रहने देती महिला टीचर
- साहस के दम पर होती बच्चों के लिए सुविधा
जयपुर। शिक्षक को समाज ने जो दर्जा दिया है वो यों ही नहीं दिया। एक शिक्षक इंसान को समाज में रहने लायक बनाता है। एक तरह से बच्चे के पैदा होने के बाद मां के बाद उसके गुरू की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षक पूरे मन से अपने छात्रों को के जीवन को बेहतर बनाने में लगा रहता है। वो अपनी हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हैं। जयपुर के सरकारी स्कूल की एक शिक्षिका ने अपने स्टूडेंट्स के लिए वो सब कर दिखाया जो आसान नहीं था।
बच्चों को प्यासा नहीं रहने देती महिला टीचर
वैसे तो सरकारी स्कूल में प्राइवेट स्कूल की तरह सभी सुविधाएं नहीं होती लेकिन राजकीय प्राथमिक विद्यालय, नाहरवाली ढाणी, हाथोज में शिक्षिका ने इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को अपना परिवार माना और उन्हें वो सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जिनकी उन्हें जरुरत थी। इस सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां तक की पीने के पानी के लिए भी बच्चों को तरसना पड़ता है। इसी स्कूल में कार्यरत अध्यापिका ने यहां के हालात देखकर पानी की व्यवस्था की।
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साहस के दम पर होती बच्चों के लिए सुविधा
शिक्षिका अनिला चौधरी का कहना है कि स्कूल में बच्चों के पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं होने पर सोचा कि कैसे बच्चों के लिए पानी की व्यवस्था करें। स्कूल में छोटे बच्चे हैं तो पानी भी ज्यादा चाहिए। हर 8-10 दिन में पानी की टंकी खाली होते ही हालात फिर से बिगड़ जाते। बहुत सारे लोगों से बात करते तब जाकर कोई एक पानी के टैंक के लिए हां करता। कई बार भामाशाह को तलाशना पड़ता। महिला शिक्षक अपना साहस बरकरार रखती है।
इस स्कूल में अनिला चौधरी, अन्नू दुगल व शालिनी दाधिच तीन शिक्षिकाएं है। अन्नू दुगल स्कूल की प्रिंसीपल भी है। इन महिला शिक्षकों का हौसला इतना है कि जब स्कूल का रंग रोगन उतर गया तो वह खुद बाजार से रंग लेकर आई और स्कूल की काया पलट दी।