जयपुर। Munesh Gurjar : राजस्थान में जयपुर नगर निगम हेरिटेज की मेयर मुनेश गुर्जर काफी लंबे समय से भ्रष्टाचार व रिश्वत जैसे आरोपों से घिरी हुई हैं। कांग्रेस पार्टी की तरफ से मेयर की मुश्किलें पिछली गहलोत सरकार से शुरू हुईं जो अब वर्तमान भाजपा सरकार में भी जारी हैं। भजनलाल सरकार ने तो मुनेश के खिलाफ केस तक चलाने की अनुमति दे दी है। हालांकि, राजस्थान सरकार की तरफ से अभियोजन स्वीकृति देने के बाद कांग्रेस की इस मेयर ने नया पैंतरा खेल दिया है। इसके तहत मुनेश गुर्जर (Munesh Gurjar) के वकील ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए ACB की तरफ से दर्ज FIR को ही चुनौती दे डाली है। उनके वकील दीपक चौहान की तरफ से पेश की गई याचिका में तर्क दिया गया है कि मुनेश गुर्जर ने ना तो रिश्वत मांगी, ना रिश्वत लेते पकड़ गई और ना ही कोई रिकवरी हुई। ऐसे में उन्हें आरोपी कैसे बना सकते हैं।
मुनेश गुर्जर (Munesh Gurjar) के एडवोकेट दीपक चौहान ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए एसीबी की तरफ से दर्ज की गई एफआईआर पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। एडवोकेट चौहान ने तर्क दिया है। पीसी एक्ट के तहत किसी भी लोकसेवक पर भ्रष्टाचार के आरोप साबित करने के लिए डिमांड और रिकवरी महत्वपूर्ण आधार होते हैं। ACB ने एफआईआर तो दर्ज कर ली लेकिन न तो डिमांड साबित कर सकी और ना ही कोई रिकवरी बता पाई। इस वजह से मेयर मुनेश गुर्जर पर लगाए गए आरोपों में राजनैतिक षड्यंत्र दिखता है। FIR को चैलेंज करने वाली यह याचिका हाईकोर्ट पेश जा चुकी है। अब यह याचिका स्वीकार होने पर सुनवाई की तारीख तय की जाएगी।
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एडवोकेट दीपक चौहान की तरफ से दायर इस याचिका में यह भी कहा गया है कि मेयर मुनेश गुर्जर (Munesh Gurjar) के खिलाफ एसीबी को कोई साक्ष्य नहीं मिले। एसीबी ने एक साल पहले जब ट्रेप की कार्रवाई की उस समय यदि मुनेश के खिलाफ सबूत मिलते तो एसीबी तुरंत एक्शन लेते हुए कार्रवाई कर सकती थी। ऐसे में अब कई दिनों बाद उनहें को आरोपी मानना राजनैतिक द्वेषता का ही परिणाम है। एडवोकेट चौहान ने कहा है कि भ्रष्टाचार के मामले से मेयर मुनेश का कोई संबंध नहीं है। शिकायतकर्ता ने भी केवल सुशील गुर्जर पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया। इस जवह से साफ प्रतीत होता है कि मुनेश गुर्जर को षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है। राजनैतिक दुर्भावना के चलते उनका नाम एफआईआर में जोड़ा गया है।
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