जयपुर। जयपुर पुलिस कंट्रोल रूम को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। Jaipur Police Control Room Bomb Blast Warning के बाद पुलिस ने हरकत में आते हुए त्वरित कार्रवाई की। इस कार्रवाई में जयपुर पुलिस ने एक युवक और युवति को हिरासत में लिया है और पूछताछ कर रही है। यह मामला आपसी झगड़े बताया गया है जिसमें तैश में आकर जयपुर पुलिस कंट्रोल रूम को बम से उड़ाने की धमकी दे डाली। हालांकि, जयपुर में बम ब्लास्ट की खबर सामने आई आते ही जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट की याद आ जाती है। इन ब्लास्ट्स के पीछे का मास्टर माइंड Dr. Bomb उर्फ Jalees Ansari की भी तस्वीर सामने आ आती है। तो आइए जानते हैं कौन था ये डॉक्टर बॉम्ब उर्फ जलीस अंसारी…
Dr. Bomb उर्फ Jalees Ansari मुंबई का मूल निवासी
Dr. Bomb उर्फ Jalees Ansari मुंबई का मूल निवासी है। अंसारी को जनवरी 2020 में राजस्थान की अजमेर सेंट्रल जेल से 21 दिनों के परोल पर रिहा किया गया था। इसके उसें आत्मसमर्पण करना था, लेकिन उसकी जगह अंसारी का 35 वर्षीय बेटा जैद अंसारी पुलिस थाने पहुंचा और पिता के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई। वह घरवालों से नमाज पढ़ने की बात कहकर निकला लेकिन वापस नहीं लौटा।
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Dr. Bomb को कानपुर से किया गया गिरफ्तार
डॉक्टर बॉम्ब उर्फ जलीस अंसारी पेशे से डॉक्टर है। उसे सबसे पहले राजधानी एक्सप्रेस में बम रखने के आरोप में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। वह अजमेर की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा था। जलीस जयपुर में सीरियल बम धमाकों का दोषी भी था जिसको फरारी के बाद कानपुर से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी से पहले अंसारी यूपी के रास्ते नेपाल भागने की तैयारी में था। लेकिन कानपुर में एक मस्जिद से निकलते समय उसे पकड़ लिया गया। अंसारी का नाम देश के अलग-अलग हिस्सों में 50 से ज्यादा बम धमाकों में शामिल था जिसके चलते उसे 'डॉ. बम' कहा जाने लगा।
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जलीस अंसारी ऐसे बना Dr. Bomb
Jalees Ansari के ऊपर आरोप है कि देशभर में 50 से ज्यादा बम धमाकों में उसका हाथ था। इसी वजह से उसें डॉ. बम कहा जाने लगा। उसें सबसे पहले 1994 में CBI ने राजधानी एक्सप्रेस में बम लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। वह पुणे के ब्लास्ट में भी आरोपी है। आरोप है कि यहां 1992 में बाबरी मस्जिद कांड के बाद उसने अपने साथियों के साथ मिलकर बम लगाए थे। इसके बाद सबसे ताजा मामले में गिरणा नदी में बम धमाके का एक्सपेरिमेंट करने के अपराध में जलीस अंसारी को मालेगांव की एक कोर्ट ने 2018 में 10 साल जेल की सजा सुनाई थी।