- जयपुर और बूंदी में निकलती है तीज की सवारी
- बूदी के राजा ने लूट ली थी जयपुर की तीज
- सोने की थी जयपुर की तीज की प्रतिमा
- बूंदी में लगता है 15 दिवसीय मेला
- मां पार्वती से जुड़ी तीज की कथा
जयपुर। भारत का राजस्थान राज्य अपने इतिहास के साथ ही तीज-त्योहारों के लिए भी पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां पर प्रत्येक दिन बेहद खास होता है। ऐसे में आज का दिन भी बेहद खास है। आज राजस्थान में महिलाएं पारंपरिक उत्साह के साथ हरियाली तीज त्योंहार मना रही हैं। इन दिन सुहागन महिलाएं व्रत रखकर पति के लंबी उम्र की कामना करती हैं। तीज पर जयपुर और बूंदी दोनों जिलों में तीज माता की सवारी निकाली जाती है। लेकिन इसबार हम आपको जयपुर के बारे में ऐसी कहानी बता रहे हैं जिसें पढ़कर आप हैरान रह जाएंगे। तो जानिए
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बूदी के राजा ने लूट ली थी जयपुर की तीज (Jaipur and bundi teej)
आपको बता दें कि जयपुर की तरह ही बूंदी में भी तीज मेला लगता है और सवारी निकाली जाती है। कहावत है कि रियासत काल में बूंदी का गोठडा के दरबार बलवंत सिंह कजली तीज को लूट कर ले गए थे। एक बार राजा के मित्र के कहने पर जयपुर में तीज की भव्य सवारी निकालने की बात हुई थी। इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि क्यों न बूंदी में भी ऐसा कुछ आयोजन हो। यह बात राजा बलवंत सिंह को पसंद आ गई और जयपुर की उसी तीज को लाने का मन बना डाला। फिर क्या था जब जयपुर से तीज की सवारी निकल रही थी तब बलवंत सिंह ने आक्रमण कर दिया और तीज को लूट लिया। तीज को लूटकर बूंदी लेकर आ गए और 15 दिन बाद बूंदी में तीज को राजशाही ठाठ से निकाला गया। तब से बूंदी में कई सालों से कजली तीज का त्योहार मनाया जाता है आज भी वो ही शानो-शौकत कायम है।
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सोने की थी तीज की प्रतिमा (Teej ki murti)
कहा जाता है कि उस समय जयपुर के आमेर के किले में जो तीज की सवारी निकाली जाती थी वो मूर्ती सोने की थी और उसी को लूट कर राजा बूंदी लाए थे। इसके बाद जयपुर में तीज माता की बहरूपी सवारी निकाली जाने लगी। लोग भी यह बात कहने लगे की बूंदी में असली और जयपुर में नकली की सवारी निकलती है। पहले राज दरबार बूंदी तीज की सवारी से निकलते थे बाद में लोकतंत्र स्थापित होने पर स्थानीय नगर निकाय द्वारा इसका आयोजन किया जाने लगा।
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बूंदी में लगता है 15 दिवसीय मेला (Bundi Teej Mela)
बूंदी में तीज सवारी निकलने के साथ-साथ 15 दिवसीय मेला भी लगाया जाता है। इसमें देश-प्रदेश से कारोबारी और कारीगर अपनी-अपनी दुकानें लगाने के लिए बूंदी आते हैं। इस बार भी यह मेला लगेगा, नगर परिषद के सभापति ने कहा कि मेले को लेकर विशेष तैयारियां की जा रही है। सांस्कृतिक आयोजनों को लेकर विभिन्न कलाकारों से बात की जा रही है। 2 सितंबर को मेले का विधिवत शुभारंभ होगा। जहां कई नामचीन कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे।
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मां पार्वती से जुड़ी तीज की कथा (Teej Katha)
कहा जाता है कि तीज कड़ी गर्मी के बाद मानसून के स्वागत का उत्सव भी है। कजली तीज देश में पूरे साल मनाए जाने वाले तीन तीज त्योहारों में से एक है। राजस्थान में आखातीज और हरियाली तीज की तरह ही कजली तीज के लिए विशेष तैयारी की जाती है। इसी दिन देवी पार्वती की पूजा की जाती है। 108 जन्म लेने के बाद देवी पार्वती भगवान शिव से शादी करने में सफल हुईं। इस दिन को निस्वार्थ प्रेम के सम्मान के रूप में मनाया जाता है। यह निस्वार्थं भक्ति थी जिसने भगवान शिव को अंततः देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसलिए महिलाएं इस दिन को खास मानते हुए व्रत रखती है और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है।