Jaipur waste to energy plant: आम के आम और गुठलियों के दाम तो आपने भी सुने ही होंगे। अगर आप भी जयपुर में रहते हैं तो जल्द ही आपकों भी ऐसा ही महसूस होने वाला है। घर से निकलने वाला वेस्ट ही अब फायदे का सौदा साबित होगा। चाहे रसोईघर से निकला हुआ वेस्ट हो या फिर आपके डस्टबिन में पड़ा वेस्ट ये सब आपके घर में रोशनी करने के काम में आने वाला है। हो गए ना हैरान। जी हां बहुत जल्द सरकार कुछ ऐसा करने वाली है। जिससे न ही कचरे के ठेर शहर में दिखेंगे और ना ही इसे डंप करने के लिए सरकार को पैसे खर्च करने होंगे। यही नहीं ये बिजली की कमी को भी छू मंतर कर देगा। ये होगा जयपुर में लगे वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के जरिये।
आपको बता दें जयपुर में बहुत जल्द कचरे से बनने वाली बिजली से आपके घरों को रोशन किया जाएगा। इसके लिए सरकार की ओर से एक नया प्रोजेक्ट भी शुरू किया गया है। इसके अन्तर्गत जयपुर में जमवारामगढ़ रोड पर लांगडियावास में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाया गया है। जहां शहरभर से निकाला गया कचरा इकट्ठा किया जाएगा यही नहीं इससे बिजली भी बनाई जाएगी। यहां से निकलने वाली बिजली शहर भर में सप्लाई की जाएगी। ये वेस्ट टू एनर्जी प्लांट अगले साल से हरदिन 1000 टन कचरे की खपत करेगा। इससे एक ओर तो वेस्ट मेनेजमेंट की परेशानी दूर होगी वहीं दूसरी ओर बिजली की शॉर्टेज भी कम होगी। यहां एक घंटे में 12 मेगावाट बिजली उत्पन्न होगी। मतलब एक घंटे में 12000 यूनिट बिजली बनकर तैयार होगी।
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तो आपको बता दे निगम electricity generation from waste इस कचरे वाली बिजली को बनाने में बड़ा सहयोग करने वाला है। ग्रेटर और हेरिटेज दोनों निगमों से डोर-टू-डोर कचरा एकत्र कर लांगडियावास पहुंचाया जाएगा। जिसे इस प्लांट में काम लिया जाएगा। इस यूनिट से एक घंटे में 12 मेगावाट यानी 12000 यूनिट बिजली बनकर तैयार होगी। यही नहीं नहीं यहां पर नॉन स्टॉप काम भी किया जाएगा। सातों दिन और 24 घंटे ये प्लांट बिजली तैयार करने का काम करेगा। यहां सालाना करीबन 330 दिन बिजली तैयार की जाएगी। सालभर में 3.30 लाख टन कचरे से 9.5 करोड़ यूनिट बिजली डिस्कॉम को सप्लाई की जाएगी। ये ग्रिड सिस्टम से डिस्कॉम को सप्लाई की जाएगी। यही नहीं बिजली बनाने के लिए उपयोग में आने वाला पानी भी एसटीपी (सीवर ट्रीटमेंट प्लांट) से लिया जाएगा।
इस waste-to-energy plant को तैयार करने में सरकार का करीब 180 करोड़ रुपया खर्च हुआ है। जो 2025 में बनकर तैयार होगा। ये प्रदेश का पहला प्रोजेक्ट है। फिलहाल ये राजधानी दिल्ली के साथ हैदराबाद, पुणे, जबलपुर जैसे शहरों में चल रहा है। प्लांट में पहले कचरे को प्रोसेस किया जाएगा। जिससे आरडीएफ यानि ड्राई फ्यूल तैयार होगा। इस आरडीएफ को बाउलर में यूज कर हीट से स्टीम बनाई जाएगी। उससे पावर जनरेट होकर स्टीम पानी में बदलेगी। प्लांट से निकलने वाली गैस को भी एफजीडी और बैक फिल्टर में ट्रीटमेंट किया जाएगा।
Jaipur waste to energy plant शहर के ग्रेटर और हेरिटेज दोनों निगमों से डोर-टू-डोर कचरा लांगडियावास पहुंचेगा। प्लांट में कचरे को प्रोसेस किया जाएगा। फिर आरडीएफ (रेजिडूय ड्राई फ्यूल) बनाया जाएगा। आरडीएफ को बाउलर में यूज करेंगे। इसकी हीट से स्टीम बनेगी। उससे पावर जनरेट होगी और स्टीम पानी में बदल जाएगी। यही रिसाइकिल होता रहेगा। प्लांट में से निकलने वाली गैसों का एफजीडी और बैक फिल्टर में ट्रीटमेंट होगा।
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