झालावाड़। Dal Bati : राजस्थान में सबसे प्रसिद्ध भोजन है तो वो है दाल—बाटी—चूरमा। जी हां, इसको लेकर कहावत भी है कि दाल बाटी चूरमा, खाकर बन जाओ सूरमा! राज्य के प्रत्येक गांव में दाल बाटी चूरमा अलग—अलग तरह से बनाने का रिवाज है जो बहुत ही स्वादिष्ट होने के साथ ही गरिष्ठ भी होती है। ऐसी एक प्रथा राजस्थान राज्य के झालावाड़ जिले के बकानी गांव के कमलपुरा में चली आ रही है जिसके बारे में जानकर हर कोई विशेष अनुभूति का आभास करता है। यहां पर कमलपुरा गांव समरसता का अनूठा उदाहरण पेश कर रहा है जिसें भगवान सत्यनारायण की कथा साल में एक बार कराई जाती है। इस दौरान बाटी बनाने का जो आयोजन होते है, वह अपने आप में अनूठा हैं। कथा से पहले इस गांव भगवान की भजन संध्या का आयोजन किया जाता है जिसमें ग्रामीण रातभर भगवान के भजन करते हैं, नाचते गाते हैं और खुशी मनाते हैं।
दरअसल, राजस्थान अपने ऐतिहासिक संस्कृति और समृद्ध प्रथाओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इसी तरह झालावाड़ की सत्यनारायण कथा भी अपने आप में अनूठी है जिसे सुनने लोग पहुंचते हैं। भारत एक विविधताओं का देश है जहां हर 3 कोस पर बोली और भोजन बदल जाता है। राजस्थान भी इससे अछूता नहीं। यहां के समृद्ध संस्कृति और प्रथाओं को आज यहां के स्थानीय लोगों ने जिंदा रखा है। प्रदेश के हाड़ौती क्षेत्र भी अपनी समृद्ध परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। हाड़ौती की लोक संस्कृति और प्रथाओं को ग्रामीणों ने आज भी जीवंत रखा है।
यहां पर बाटी (Dal Bati) बनाने के लिए करीब 4242 कंडों का उपयोग किया जाता है। बाटियों को सेकने के बाद को कंडे की राख में गाड़ दिया जाता है और ऊपर से काली मिट्टी से इस तरह दबा दिया जाता है, जिससे हवा अंदर न जाए क्योंकि अंदर हवा जाने से बाटियां खराब हो जाती हैं। ग्राम वासियों ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि इस दिन हम गांव के सभी मंदिरों के ध्वज बदल देते हैं, साथ ही भगवान के कपड़ों को बदलते हैं और श्रृंगार करते हैं। जहां मंदिरों की सफाई और रंग रोगन होता है।
टोडरमल लोधा ने कहा कि यह आयोजन भले ही लोधा समाज का होता हो, लेकिन इसमें सहयोग पूरा गांव करता है। टोडरमल लोधा ने बताया कि इस आयोजन को करने के लिए प्रत्येक घर पर जाया जाता है। इस मौके पर प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से आटा, दाल, कंडे और पैसे जमा किए जाते हैं। एक घर, एक परिवार से 3 किलो आटा, प्रति व्यक्ति 6 कंडे, प्रति व्यक्ति 50 रुपये और प्रति व्यक्ति 400 ग्राम दाल ली जाती है।
इस बार 707 व्यक्तियों ने यह सामग्री दी है। इसके अनुसार, करीब 28 क्विंटल आटा, 300 किलो दाल, 4 हजार से अधिक कंडे इसमें इस्तेमाल किया जाना है। टोडरमल ने बताया कि बाटियां बनाने के लिए 12 खाट, निवार की खाट (पलंग) का उपयोग किया जाता है। घर-घर में जहां भी खाट होती है, वहां से मंगा ली जाती है। कम पडने पर निवार की खाट का उपयोग किया जाता है। इसके बाद जब बाटियों (Dal Bati Recipe) को सेंका जाता है, तो तीन गांव के लोग बाटियों को सेंकने आते हैं। करीब 300 से 400 व्यक्ति इन बाटियों को सेंकते हैं।
ग्रामीणों के मुताबिक, रविवार की सुबह सत्यनारायण भगवान की कथा होगी। इसके बाद प्रसाद वितरण होगा और दोपहर बाद से भंडारे का आयोजन किया जाएगा जिसमें 60 गांव के व्यक्ति आएंगे और प्रसादी ग्रहण करेंगे। इसके अलावा गांव की जिन बहन बेटियों की दूसरे गांव में शादी हुई है, उन्हें भी निमंत्रण भेजा जाता है और फोन से सूचना दी जाती है।
आप जयपुर की ताजा खबरें Jaipur News ePaper पर क्लिक करके अपने मोबाइल फोन पर ही कहीं भी और किसी भी समय पढ़ सकते हैं। जयपुर ई-पेपर पर आप जयपुर की ताजा खबरें व राजस्थान की ताजा खबरें पढ़कर अपने आपको हर कैटेगरी की लेटेस्ट न्यूज से अपडेट रख सकते हैं।
इसी तरह की ख़बरों के लिए हमारे WhatsApp Channel को फॉलो करें ..
संवाददाता- हरिमोहन चूड़ावत
Jaipur News : जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (CM Bhajanlal Sharma) के निर्देश पर…
Madan Rathore News : जयपुर। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ (Madan Rathore) आज (गुरूवार) श्रीगंगानगर…
जयपुर। Sas Ki Sas Banungi Main : राजस्थान की राजधानी जयपुर अपनी कई खूबियों की…
Kirodi Meena News : राजस्थान में जहां एक ओर उपचुनावों के नतीजे आने वाले हैं।…
Hanuman Beniwal News : जयपुर। राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग…
Hanuman Beniwal News : जयपुर। राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे है,…