Jhalawar Tourist Places : राजस्थान में झालावाड़ जिला एक ऐसा पर्यटन स्थल है जिसकी दुनिया दीवानी है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य इतना खूसबूरत है कि उसके सामने यूरोप भी फेल होता है। यहां पर एक और नारंगी के बगीचे लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं तो दूसरी ओर घने जंगल हैं जो घूमने वालों के लिए परम आनंद की पूर्ती करते हैं। घूमने के लिए झालावाड़ एक बहुत ही शानदार टूरिस्ट प्लेस है जो बहुत ही सस्ता होने के साथ ही गजब का आनंद देने वाला है। ऐसे में आप भी यदि गर्मियों की छुट्टियों में एक ऐसी ही जगह घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं तो झालावाड़ शानदार जगह है। आइए जानते हैं कि आपको झालावाड़ क्या—क्या ऐसी चीजें (Jhalawar Tourist Places) मिलेंगी जिन्हे देखते ही आप भाव विभोर हो उठेंगे।
झालावाड़ एक ऐसी जगह है जहां ऐतिहासिक और प्राकृतिक (Jhalawar History and Nature) दोनों की तरह खूबसूरती मौजूद है जो लोगों को रोमांचित करती है। इस नगरी को जो जितना देखता है वो उतना ही इसमें खो जाता है क्योंकि यह अद्भुत रहस्यों से भरपूर है। यह नगरी जल से युक्त, घनों जंगलों से घिरी और जायकेदार फलों से भरपूर है। यहां आने वाले इस जगह की खूबसूरती से इतने प्रभावित होते हैं यहीं के होकर रह जाते हैं। यहाँ के अद्भुत स्थान और मीठे नारंगी के फल भी लोगों को काफी आकर्षित करते हैं।
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आपको बता दें कि यह दीवान राजपूत झाला जालिम सिंह की नगरी है जिसका नाम पहले बृजनगर था। हालांकि, सन् 1791 में मराठों से बचने के लिए कोटा स्टेट के दीवान राजपूत झाला जालिम सिंह ने घने जंगलों के बीच ‘छावनी उम्मेदपुरा’ नाम से एक सैनिक छावनी की बनाई थी। हालांकि, बाद में घने जंगलों से घिरा झालावाड़ राजा झाला जालिम सिंह की पसंदीदा जगह बन गई और वो अक्सर यहां पर शिकार करने आया करते थे। यह नगरी अपनी समृद्ध प्राकृतिक संपदा से पहचानी जाती है। क्योंकि यह स्थान राजस्थान के पर्यटन स्थलों से बिल्कुल अलग है। यह सिटी पूरी तरह से विपुल जल संपदा से भरी है। वहीं, नारंगी के फलों के बगीचे यहां के सौन्दर्य को और भी अधिक बढ़ा देते हैं। झालावाड़ का फलों के उत्पादन में भारत में अपना महत्वपूर्ण स्थान है। यह शहर राजपूत और मुगल काल की स्थापत्य कला से संवरा हुआ है जहां किले और महल अभूतपूर्व है। इनमें विपुल मंदिर जैसे विश्व विख्यात आस्था स्थल भी शामिल है।
यहां पर शहर के बीचों बीच चार मंजिला गढ़ पैलेस (Jhalawar Fort) है जो काफी लुभावना है। इस महल का निर्माण महाराज राणा मदन सिंह ने कराया था। यह गढ़ पैलेस हाड़ौती कला से परिपूर्ण है और किलेनुमा है। यह झालावंश का रहस्यमयी और भव्य महल रहा है। इस महल के 3 शानदार कलात्मक द्वार हैं जो यूरोपियन ओपेरा शैली के हैं। यहां पर नक़्कारखाने के पास पुरातात्विक महत्व का संग्रहालय भी काफी दर्शनीय है। इस महल में आपको सुंदर चित्रों की आकृतियां भी देखने को मिलेंगी। यहीं पर जनाना खास यानी महिलाओं का महल भी है, जिसमें दीवारों पर दोनों ओर शीशे और उत्कृष्ट भित्तिचित्रों का जबर्दस्त अंकन है।
इसको सन 1921 में बनाया गया था जो यादगार नाटकों एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की गवाह है। आपको बता दें कि पूरी दुनिया में ऐसी सिर्फ 8 नाट्यशालाएं हैं। यहां की सबसे खास बात यह है कि महान अंग्रेजी लेखक विलियम शेक्सपीयर के लिखे गए नाटकों को यहां पेश किया जाता था। शेक्सपीयर ब्रिटिश थे जिस वजह से विदेशी पर्यटक इसे देखने के लिए आते हैं। यहां पर घोड़ों और रथों के मंच पर प्रकट होने का मार्ग एक भूमिगत रास्ते के द्वारा बनाया गया है जो इसको और भी ज्यादा आकर्षक व विशेष बना देता है।
यह झालावाड़ से 7 किमी की दूरी पर चंद्रभागा नदी के किनारे पर बना है जो शानदार नक़्काशीदार स्तंभों और मेहराबदार द्वारों वाला है। यहां पर चंद्रमौलीश्वर मंदिर, लकुलिश हरीहर मंदिर एवं देवी मन्दिर भी बेहद खास है।
झालावाड़ में बेहतरीन मेडिसिनल प्लांट्स मिलने की वजह से यहां के हर्बल गार्डन भी पर्यटकों के बीच काफी फेमस हैं। यहां पर वरुण, लक्ष्मण, शतावरी, स्टीविया, रूद्राक्ष तथा सिंदूर जैसी कई जड़ी-बूटियों वाले पेड़-पौधों हैं जिनका उपयोग आयुर्वेदिक औषधियां बनाने में होता है।
यहां पर प्रथम जैन तीर्थंकर (प्रवर्तक) आदिनाथ का चांदखेड़ी आदिनाथ मंदिर है जो खानपुर के नजदीक चांदखेड़ी में है। इस मंदिर में 17वीं शताब्दी के वास्तुशिल्प, वैभव और धार्मिक पवित्रता दिखाई देती है। यहां पर भगवान आदिनाथ की छह फुट ऊंची प्रतिमा है और इस मंदिर में पारंपरिक सात्विक भोजन का भी आनंद ले सकते हैं। यहां पर भगवान पार्श्वनाथ की 1000 वर्ष पुरानी प्रतिमा वाला नागेश्वर पार्श्वनाथ जैन मंदिर भी है जो उन्हेल जैनियों का तीर्थ और धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है। गागरोन के राजा से संत बने राजर्षि पीपाजी की ऐतिहासिक -आध्यात्मिक कहानियों की प्रस्तुति भी संत पीपाजी पैनोरमा में चित्रों में देख सकते हैं। यहां पर सन 1860 में झालावाड़ के शासक राजा पृथ्वी सिंह का बनवाया नौलखा किला भी है। यहां पर राजकीय संग्रहालय भी है जो झालाओं की समृद्ध रियासत के सबूत दिखाता है। यह सन 1915 में स्थापित प्रदेश के सबसे प्राचीन संग्रहालयों में से एक इस स्थान है जहां दुर्लभ चित्रों, पांडुलिपियों और प्राचीन मूर्तिशिल्पों का शानदार कलेक्शन है। झालावाड़ में आप गागरोन का किला, सूर्य मंदिर, द्वारकाधीश मंदिरख् दलहनपुर, बौद्ध गुफाएं, स्तूप और शांतिनाथ जैन मंदिर देखने का भी आनंद ले सकते हैं।
हवाई मार्ग से झालवाड़ जाने के लिए सबसे निकटतम एयरपोर्ट इंदौर में हैं। इसके बाद आप सड़क या रेल मार्ग से पहुंच सकते हैं। वहीं, जयपुर हवाई अड्डा 345 किमी है। यह शहर नेशनल हाईवे 52 पर मौजूद है जहां आप कार से या फिर राजस्थान के सभी प्रमुख शहरों से संचालित होने वाली बसों के जरिए भी जा सकते हैं। यहां पर सिटी से सिर्फ 2 किमी की दूरी पर रेलवे स्टेशन है। वहीं, कोटा-झालावाड़ के बीच रोज पैसेंजर ट्रेन के साथ-साथ सुपर फास्ट ट्रेन जयपुर और श्री गंगानगर से भी जाती है।
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