Khinwsar By Elections : राजस्थान में होने वाले उपचुनाव को लेकर सभी पार्टियां चुनावी प्रचार में जुट गई है। 7 सीटों पर उपचुनाव के नतीजों से भले ही सरकार की सेहत पर प्रभाव नहीं हो, लेकिन इसका संदेश पूरे प्रदेश में जायेगा। बीजेपी संख्याबल बढ़ाने के इरादे से मैदान में हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस अधिक से अधिक सीटे जीतकर सकारात्मक संदेश देना चाहती है। वहीं कांग्रेस ने अपने गठबंधन के साझीदार दलों के सामने भी उम्मीदवार उतारकर रणनीति स्पष्ट कर दी है। लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि कांग्रेस 4 महीने के भीतर ही अकेले चुनाव लड़ने क्यों जा रही है? आइए जानिए क्या है पूरा मामला?
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इस वजह से टूटा बेनीवाल और कांग्रेस का गठबंधन
बता दें कि इस रणनीति से कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने एक तीर से कई निशाने किए है। हालांकि RLP प्रमुख हनुमान बेनीवाल कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का प्रयास किया था, लेकिन कांग्रेस ने उनको भाव ही नहीं दिया, हालांकि होटासरा ने बेनीवाल के बयान और उनके रवैए की रिपोर्ट आलाकमान तक पहुंचाई। लेकिन हरियाणा में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बेनीवाल ने कांग्रेस के खिलाफ चुनाव प्रचार किया था। इसी वजह से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से कांग्रेस ने गठबंधन नहीं किया है।
खींवसर में होगा त्रिकोणीय मुकाबला
खींवसर सीट से RLP ने हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने बड़ा खेला करते हुए रतन चौधरी को टिकट दिया है। वहीं भाजपा का टिकट रेवंत राम डांगा को मिला है। इस सीट पर खुद डोटासरा भी प्रचार करने पहुंचेंगे और दूसरे छोर पर हनुमान बेनीवाल मोर्चा संभाले हुए हैं। ऐसे में दोनों नेता एक-दूसरे से भिड़ सकते है।
भाजपा को मिलेगा फायदा
वहीं कांग्रेस और बेनीवाल की लड़ाई का फायदा भाजपा को मिल सकता है, क्योंकि पिछली बार खींवसर से भाजपा उम्मीदवार की कम अंतर से हार हुई थी। ऐसे में भाजपा अबकी बार हनुमान बेनीवाल की लंका ढा सकती है। वहीं खींवसर से RLP को चुनाव जीतना हनुमान बेनीवाल की प्रतिष्ठा का सवाल हो गया है। हालांकि यह तो वक्त ही बताएंगा कि यहां से कौन बाजी मारेगा।
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