धरना प्रदर्शन कर कर रही पुलवामा शहीद सैनिकों की वीरांगनाओं को शुक्रवार सुबह 3 बजे अचानक पुलिस उठाने आ गई। पुलिस ने धरना स्थल से मंजू को उठाकर उनके गांव गोविंदपुरा बासड़ी छोड़ा था। तो दूसरी तरफ एक अन्य वीरांगना सुंदरी को भरतपुर के अस्पताल में जबरन भर्ती करवा दिया। उनके साथ उनके देवर विक्रम और बड़ी बेटी सुमन भी थे। इनका कहना है कि हम सभी की तबीयत बिल्कुल सही होने के बावजूद धरना स्थल से उठा दिया और यहां अस्पताल में लाकर भर्ती करा दिया। पुलिस ने उन तीनों वीरांगनाओं को रात 3 बजे ही अलग-अलग एंबुलेंस में उनके घर भेज दिया।
घायल किरोड़ीलाल मीणा को पहुंचाया अस्पताल
धरना स्थल से मंजू को उठाकर उनके घर भेजने के बाद किरोड़ीलाल उनसे मिलने उनके गावं गोविंदपुरा बासड़ी जा रहे थे। इसी बीच सामोद थाने के बाहर खड़ी पुलिस ने उन्हें वहां रोक लिया और बदसलूकी करने लगे।
किरोड़ीलाल को हिरासत में लेने के लिए पुलिस ने उनके साथ धक्कामुक्की भी की। हालांकि पुलिस इससे बच निकलने के लिए स्पष्ट नहीं किया है। इसकी जानकारी किरोड़ीलाल ने ट्वीटर पर दी। जहां उन्होनें लिखा कि-पुलिस का एक सांसद के साथ में यह कैसा व्यवहार है। हिरासत में लेने के लिए मेरे साथ धक्का-मुक्की व हाथापाई की गई। मेरे कपड़े फाड़ दिए गए। सरकार कान खोलकर सुन ले- इस तानाशाही के बाद मैं झुकने और रुकने वाला नहीं हूं। शहीदों की वीरांगनाओं को हर हाल में न्याय दिलवा कर रहूंगा। इन सारी घटना के बीच किरोड़ी घायल हो गए और उन्हें गोविंदगढ अस्पताल में ले जाया गया। जहां उनका इलाज किया जा रहा है।
मुंह में घास लेकर किया प्रदर्शन
गुरुवार को तीनों वीरांगनाओं ने मुंह में घास (दूब) लेकर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बंगले के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद जब वीरांगनाएं सीएम हाउस कूच करने लगी तो पुलिस ने रोक दिया। वीरांगनाओं ने जमीन पर लेटकर दंडवत होकर सीएम से गुहार लगाई कि अब तो सीएम हमारी बात सुनें। सासंद किरोड़ीलाल का कहना है कि ये वीरांगनाएं अब अधीर हो चुकी है। कई दिनों से ये गुहार लगा रही है लेकिन इनकी सुनवाई नहीं हो रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गहलोत का कहना है कि इन वीरांगनाओं की मौजूदा मांगे अनुचित है। साथ ही गहलोत का यह भी कहना है कि विपक्ष के नेता अपनी राजनीति के लिए इन वीरांगनाओं का सहारा ले रहे है जो कि नहीं होना चाहिए। ऐसे में इन वीरांगनाओं की भावनाएं आहत नहीं होनी चाहिए।