- सुनहरे सपनों के बीच दम तोड़ती जिन्दगिया!
- गहलोत ने लगाई कोचिंक संचालकों को फटकार
कोटा। कोटा शहर मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग का गढ़ माना जाता है। कोटा में बढ़ती आत्महत्याएं बताती है कैसे सुनहरे भविष्य की दौड़ में जिंदगियां दम तोड़ रही है। कोटा शहर हमेशा से सुर्खियों में रहा है। इस शहर ने कई लोगों के हसीन सपनों को पंख लगाए तो कई जिंदगीयों के हसीन सपनों ने दम तोड़ दिए। राजस्थान ही नहीं बनसपत पूरे भारत से विधार्थी यहां आखों में सुनहरे भविष्य के सपने लेकर आते है। पढ़ाई का तनाव कुछ विधार्थी सह नहीं पाते जिसके कारण मौत को गले लगा लेते है।
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कमेटी का किया गठन
डॉक्टर तथा इंजीनियर बनने का सपना लेकर कोटा आए छात्रों ने मौत को गले लगा लिया। 8 महीनों में यह आकड़ा 21 तक पहुंच चुका है। बढ़ते मामलों को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने चिंता व्यक्त साथ ही सीएम गहलोत ने कोचिंग संचालकों को जमकर फटकार भी लगाई। इसके साथ ही सीएम ने बढ़ते मामलों को रोकने के लिए एक कमेटी बनाने के आदेश भी दिए। इस कमेटी में कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधि, माता पिता तथा डॉक्टर समेत कई हितधारकों को शामिल किया जाएगा। इस कमेटी के द्वारा 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट पेश की जाएगी।
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मैं नहीं देख सकता बच्चों को मरते हुए- गहलोत
सीएम गहलोत ने जहां एक और आत्महत्या के बढ़ते मामलों को लेकर बात की वहीं गहलोत ने 9 तथा 10वीं में पढ़ने वाले छात्रों पर पड़ने वाले बोझ का भी जिक्र किया। सीएम ने कहा कोटा में बच्चों को मरते हुए मैं नहीं देख सकता। कोटा शहर में सफलता का स्ट्राइक 30 फ़ीसदी से ऊपर होता है। पर कोटा का एक सच बेहद भयावह है। यहां एक बड़ा आकड़ा ऐसा भी है जो असफ़लता का है। और इसमें भी कूछ ऐसे है जो अपनी नाकामी बर्दाशत नहीं कर पाते है। कोटा शहर अब धीरे-धीरे आत्महत्याओं का गढ़ बनता जा रहा है।