जयपुर। Kota RPS Accident Case : राजस्थान के कोटा जिले में राजस्थान पुलिस सेवा (RPS) के एक अधिकारी की आज सुबह हुए सड़क हादसे में मौत हो गई। RPS के साथ ही SUV कार में सवार एक अन्य महिला अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गईं। यह एक्सीडेंट आज सुबह करीब 7.30 बजे कोटा-चित्तौड़ रोड़ पर धनेश्वर के पास हुआ है। पुलिस के मुताबिक जिस गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ है, उसमें RPS राजेंद्र गुर्जर और बेगूं (चित्तौड़गढ़) DSP अंजलि सिंह सवार थे। इन दोनों को ही कोटा की ओर आते समय एक ट्रॉले ने बुरी तरह कुचल दिया। इस एक्सीडेंट में राजेंद्र गुर्जर की मौत हो गई जो कि कोटा RAC सेकेंड बटालियन में पोस्टेड थे। राजेंद्र ने लगभग 15 दिन पहले ही ड्यूटी ज्वॉइन की थी और उनकी पहली पोस्टिंग थी।
इस सड़क हादसे में सबसे चौंकाने वाली बात ये सामने आई है कि जिस कार में राजेंद्र गुर्जर व महिला पुलिस अधिकारी सवार थे वो एक SUV कार जिसमें 6 एयरबैग होते हैं। हालांकि, इस कार के सभी 6 एयरबैग खुले होना बताया गया है जिसके बावजूद राजेंद्र गुर्जर की मौत हो गई। ऐसे में सवाल उठता है कि सड़क हादसे में एयर बैग लोगों की जान बचाने में कितने कारगर होते हैं। आपको बता दें कि जब किसी कार तेज रफ्तार हो हो एक्सीडेंट किसी भारी वाहन से हो तो जबरदस्त रूप से धक्का लगता है। हालांकि, पलक झपकते ही कार के एयरबैग खुल जाते हैं लेकिन कार ड्राइवर व उसमें बैठी सवारियों को जबरदस्त झटका लगता है जिससें गर्दन टूटने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। कोटा RPS की कार सड़क एक्सीडेंट मामले में भी ऐसा ही हुआ। जिस कार में आरपीएस राजेंद्र गुर्जर सवार थे वो 18 लाख रूपये से ज्यादा की कीमत वाली थी, जिसके बावजूद उनकी जान नहीं बच सकी। क्योंकि उनकी गर्दन पर जबरदस्त झटका लगा जिसको वो झेल नहीं पाए। हालांकि, हादसा कम स्पीड में होता तो फिर एयरबैग कार सवारों की जान बचाने में सक्षम हो जाते।
आपको बता दें कि कार एक्सीडेंट में आरपीएस राजेंद्र गुर्जर ही नहीं बल्कि देश कई बड़ी हस्तियों की भी मौतें हो चुकी है जो इस प्रकार हैं—
1. साइरस मिस्त्री की सड़क हादसे में मौत
2. गोपीनाथ मुंडे की हुई थी सड़क हादसे में मौत
3. महाराष्ट्र के पूर्व MLA विनायक मेटे की मौत
4. ज्ञानी जैल सिंह की गई थी सड़क हादसे में जान
5. राजेश पायलट की हादसे में हुई थी मौत
आपको बता दें कि एक्सीडेंट में कार की टक्कर के समय एयरबैग नहीं खुलने पर कंपनी द्वारा उपभोक्ता को दंडात्मक मुआवजा देना होता है। इसके लिए दिल्ली उपभोक्ता अदालत में जस्टिस विनीत सरन की पीठ का फैसला एक नजीर है। इस पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि उपभोक्ता गति और बल के सिद्धांतों के आधार पर टकराव के प्रभाव की गणना करने के लिए नहीं है। कोर्ट ने यह टिप्पणी हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए की थी। उस समय राष्ट्रीय आयोग ने दिल्ली उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के उस आदेश को बरकरार रखा जिसें जिसमें हुंडई क्रेटा के एयरबैग न खुलने के कारण एक्सीडेंट के समय सिर, छाती और दांतों में चोट लगने वाले उपभोक्ता को मुआवजा देने का निर्देश दिया गया था।
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आपको बता दें कि जिस कार में RPS गुर्जर सवारी कर रहे थे उसमें 6 एयरबैग आते हैं। हालांकि सभी एयरबैग खुले जिसके बावजूद उनकी मौत हो गई। जिस कार में 6 एयरबैग होते हैं उनमें सामने बैठे लोगों की सुरक्षा के लिए स्टीयरिंग व्हील और यात्री-साइड डैशबोर्ड पर स्थित होते हैं। कार में साइड एयरबैग भी होते हैं जो कोई साइड इफेक्ट होने पर कार में बैठे लोगों की रक्षा करते हैं। वहीं, घुटने के एयरबैग सामने वाले यात्रियों को घुटने की चोट से बचाते हैं।
आज के समय में आने वाली छोटी कारों में 2 एयरबैग—ड्राइवर एयरबैग व फ्रंट सीट पेसेंजर एयरबैग आते हैं। हालांकि, अब सभी कारों में कम से कम 2 एयरबैग देना भारत सरकार की तरफ से अनिवार्य कर दिया गया है। लेकिन, ऐसी कारों में भीषण एक्सीडेंट होने पर पीछे बैठे लोगों की सेफ्टी की गारंटी नहीं होती।
दरअसल, जिस कार में एयरबैग होते हैं उसके बंपर पर सेंसर लगा होता है। ये गाड़ी के सेंसर से कनेक्ट होता है। जैसे ही किसी गाड़ी को टक्कर लगती है वैसे ही इसका एक्टिव मोड ऑन हो जाता है और ये बाहर की तरफ खुल जाता है।
किसी भी कार के एयरबैग में सोडियम एज़ाइड का उपयोग किया जाता है। कार की टक्कर से उत्पन्न विद्युत आवेश के कारण सोडियम एज़ाइड फट जाता है और एयरबैग के अंदर नाइट्रोजन गैस में परिवर्तित हो जाता है। सोडियम एजाइड तेजी से कार्य करने वाला, अत्यंत घातक रसायन है जो गंध रहित सफेद ठोस के रूप में दिखाई देता है। जब सेंसर को फ्रंट एंड क्रैश का पता चलता है तो एयर बैग फूल जाते हैं। सेंसर एक रासायनिक प्रतिक्रिया शुरू करने के लिए एक विद्युत संकेत भेजता है जो हानिरहित नाइट्रोजन गैस के साथ एयर बैग को फुलाता है। ये कार्य पलक झपकने से भी तेज गति से होता है। एयर बैग में मोड़ होते हैं, इसलिए वे आपको कुशन देने के तुरंत बाद हवा निकाल देते हैं।
किसी भी कार का एक्सीडेंट होने पर उसमें बैठी सवारियों को एयरबैग का झटका लगता है तो आम तौर पर शुरुआती दुर्घटना के बाद पहले 24-48 घंटों में दर्द सबसे गंभीर होता है। उसके बाद लगभग 72 घंटों के बाद दर्द कम होना शुरू हो जाता है।
कभी-कभी एयरबैग के फूलने से होने वाली क्षति की वजह से एयरबैग खराब हो जाते हैं और उन्हें दोबारा नहीं लगाया जा सकता। यदि एयरबैग क्षतिग्रस्त हो गए हैं या वाहन उन्हें रीसेट करने की अनुमति नहीं देता है, तो आपको उन्हें बदलना होगा। ऐसे में पूरे एयरबैग मॉड्यूल को हटाना और इसे एक नए से बदलना शामिल है। यदि एयरबैग आपके स्टीयरिंग व्हील में था, तो पूरे व्हील और स्टीयरिंग कॉलम को बदलने की भी आवश्यकता हो सकती है।
जी हां अधिकांश बीमा पॉलिसियां गाड़ी के एयरबैग को कवर करती हैं। आपकी गाड़ी एयरबैग को आपके वाहन का हिस्सा माना जाता है जिस वजह से उन्हें वाहन बीमा पॉलिसी के अंतर्गत कवर किए जाएंगे।
कार के एयर एयरबैग बदलने में कितना खर्च आता है? यह उसके प्रकार पर निर्भर करता है। आपकी कार सस्ती है, महंगी या बहुत ही अधिक लग्जरी है। सामान्यत: एक लग्जरी कार के एक एयरबैग को बदलने में $1,000 से $2,000 तक का खर्च आ सकता है। लेकिन कई बार यह बहुत अधिक महंगा होता है। यदि दुर्घटना बहुत बुरी है, तो औसत लागत लगभग $3,000 से $5,000 तक हो जाती है।
जी नहीं, सभी गाड़ियों में 15 वर्षों के बाद एयरबैग को बदलने का नियम था। लेकिन अब काफी शोध के बाद, वाहन निर्माता कंपनियों ने निष्कर्ष निकाला है कि 1992 के बाद निर्मित एयरबैग वाहन के जीवनकाल तक चलेंगे।
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