राजस्थान में Congress Party के अंदर अभी गुटबाजी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है और इसके चलते उसने अपना नेता प्रतिपक्ष भी नहीं चुना है। इस देरी के कई कारण बताए जा रहे हैं लेकिन विधानसभा सत्र शुरू होने जा रहा है और पार्टी अभी भी नेता प्रतिपक्ष के नाम को लेकर एक राय नहीं बना पा रही हैं। राजनीति के जानकारों की मानें तो अंदरूनी खींचतान के चलते कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष के चुनाव को लेकर दो नहीं तीन धड़े बन गए हैं।
तीनों ही अलग-अलग नाम आलाकमान के सामने रख रहे है। एक सचिन पायलट खेमा है तो दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री Ashok Gehlot का और तीसरा खेमा आलाकमान से जुड़ा है। गहलोत जिस नाम से सहमत नहीं, पायलट गुट उसी नाम की पैरवी करने में जुटा है। तीसरा खेमा अलग ही नाम को लेकर अपनी राय रख रहा है। कांग्रेस दलित-आदिवासी कार्ड और जाट-ब्राह्मण combination को ध्यान में रखने का प्रयास कर रही है जो Lok Sabha elections में उसके लिए फायदेमंद साबित हो सके।
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नेता प्रतिपक्ष के 3 मुख्य दावेदार
कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष के लिए फिलहाल Govind Singh Dotasara, Harish Chaudhary और टीकाराम जूली का नाम प्रमुख दावेदारों के तौर पर सबसे आगे चल रहा हैं। आलाकमान चाहता है कि नेता प्रतिपक्ष पद का चुनाव ऐसा हो की इसका फायदा लोकसभा चुनावों में मिल सकें। गहलोत गुट आदिवासी-एसटी से आने वाले महेंद्रजीत मालवीय की पैरवी कर रहर हैं। लेकिन मालवीय के नाम पर पायलट के साथ तीसरा गुट राजी नहीं है। आलाकमान के सबसे ज्यादा भरोसेमंद भंवर जितेंद्र सिंह टीकाराम जूली की पैरवी कर रहे हैं। जूली पार्टी के प्रमुख दलित चेहरा है।
डोटासरा का नाम भी सबसे आगे
नेता प्रतिपक्ष के लिए जाट दावेदारों में Congress State President Govind Singh Dotasara का चल रहा है। क्योंकि डोटासरा की जगह पायलट को प्रदेशाध्यक्ष दिया जा सकता है। ऐसे में डोटासरा की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है। ब्राह्मण को नेता प्रतिपक्ष और जाट को उन नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है। बीडी कल्ला का नाम भी इसमें शामिल है।
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नेता प्रतिपक्ष का फैसला दिल्ली से होगा
नेता प्रतिपक्ष का फैसला दिल्ली आलाकमान ही तय करेगा और 14 जनवरी के बाद कभी भी इसका फैसला किया जा सकता है। गहलोत सरकार के समय गुलाबचंद कटारिया को विधानसभा सत्र से ठीक पहले नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया था।