जयपुर। Maha Shivratri 2024 : राजस्थान में एक ऐसे राजा भी हुए है जिन्होंने अपना सिर काटकर भगवान शिव शंकर को चढ़ा दिया। ये राजा कोई नहीं बल्कि रणथम्भौर के राजा हमीर देव चौहान थे`। हमीर देव सिंह द्वारा अपना सिर काटकर भगवान शिव को चढ़ा देने के पीछे का कारण कोई और नहीं बल्कि अपनी खुद की भूल व मुस्लिम झंडा बने। ऐसे में आइए Maha Shivratri 2024 के मौके पर इस महान प्रतापी राजा के बारे में जानते हैं कि कैसे यह सुल्तानों से नहीं हारा लेकिन अपनी ही भूल के कारण स्वयं की बलि दे दी।
पृथ्वीराज चौहाण के वंशज थे राव हमीर देव
राव हम्मीर देव चौहाण पृथ्वीराज चौहाण के वंशज थे और रणथम्भौर के शासक थे जिनके पिता का नाम जैत्रसिंह था। इनको इतिहास में हठी हम्मीर के नाम से जाना गया है। राव हम्मीर सन् 1282 ईस्वी में रणथम्भौर (रणतभँवर) के राजा बने। हम्मीर देव रणथम्भौर के चौहाण वंश के सर्वाधिक शक्तिशाली एवं महत्वपूर्ण शासक भी थे। इन्होने अपने बाहुबल से विशाल साम्राज्य स्थापित कर लिया था।
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हमीर देव ने खिलजी शासकों को किया परास्त
जलालुद्दीन खिलजी ने 1290 ईस्वी में रणथम्भौर पर आक्रमण किया लेकिन हार कर वापस दिल्ली लौट जाना पड़ा। इसके बाद 2 बाद फिर मुस्लिम सेना ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया, लेकिन वो इस बार भी हारकर वापस दिल्ली लौट गए। इसके बाद 1296 ईस्वी में सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी की हत्या करके अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली का सुल्तान बना। अलाउद्दीन की सेना ने सर्वप्रथम ने रणथम्भोर पर राज्य पर आक्रमण किया परंतु हार गई। इसके बाद 1301 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने दुबारा चौहानों पर आक्रमण किया, लेकिन फिर हार गया।
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हमीर देव ने भूल के कारण सिर काटकर शिवजी को चढ़ाया
अलाउद्दीन खिलजी को हराकर राजपूत सेना जब वापस लौट रही थी तो भागे हुए मुसलमान सैनिको के झण्डे राजपूतों ने छीन लिए। इसके बाद राजपूत सेना दुर्ग की ओर लौटी। दुर्ग पर से रानियों ने मुसलमानों के झण्डो को दुर्गे की ओर आते देखकर समझा की राजपूत हार गए अतः उन्होंने जोहर कर अपने आपको अग्नि को समर्पित कर दिया। किले में प्रवेश करने के बाद जौहर की लपटों को देख हमीर को अपनी भूल का ज्ञान हुआ। प्रायश्चित करने हेतु हमीर देव ने किले में स्थित शिव मन्दिर पर अपना मस्तक काट कर शंकर भगवान के शिवलिंग पर चढा दिया।