जयपुर। Mahashivratri 2024 इसबार 8 मार्च को है जिस पर भगवान शिव शंकर की पूजा पूरे विश्व में स्थित शिवालयों में की जा रही है। माना जाता है कि महाशिवरात्रि को जो भी भक्त सच्चे मन और विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं उन सब पर महादेव जल्द प्रसन्न होते हैं। ऐसे में महाशिवरात्रि 2024 के मौके पर हम आपको राजस्थान में स्थित प्रमुख 7 ऐसे मंदिरों के बारे में बता रहे हैं जो बहुत चमत्कारी व प्रसिद्ध है, जहां शिवलिंग के दर्शन व पूजा अर्चना करके आप महादेव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
महादेव शिवजी का यह शिवालय राजस्थान के धौलपुर में स्थित है जिसको अचलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां पर महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2024) व सावन माह में दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में शिवभक्त पहुंचते हैं। अचलेश्वर महादेव मंदिर की सबसे खास बात ये है यहां पर भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है। गौरतलब है कि भगवान शिव के सभी मंदिरों में शिव लिंग या भगवान शिव की मूर्ति के रूप में पूजा की जाती है लेकिन इस मंदिर में भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा की ही जाती है। धौलपुर स्थित अचलेश्वर महादेव दिन में 3 बार रंग बदलते हैं। सुबह के समय शिवलिंग लाल, दोपहर में केसरिया और रात को श्याम वर्ण में नजर आते है।
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महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2024) पुर सवाई माधोपुर के शिवाड़ स्थित घुश्मेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। महाशिवरात्रि और सावन माह में इस मंदिर का बहुत ही अद्भुत होता है। इस मंदिर को राजस्थान का ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। इस मंदिर के प्रसिद्ध होने के पीछे सुदर्मा नामक एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी को लेकर एक पुरानी और बेहद रोचक कहानी हैं। इस मंदिर पर महमूद गजनवी ने भी आक्रमण किया था।
राजस्थान की राजधानी जयपुर में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है जिसको झाड़खंड महादेव मंदिर (Mahashivratri 2024) कहा जाता है। नाम से आश्चर्य में मत पड़े. क्योंकि ऐसा अक्सर होता है जब लोगों को लगता है कि किसी शिवालय का नाम झाड़खंड कैसे हो सकता है। जयपुर स्थित वैशाली नगर के पास जिस गांव में यह मंदिर स्थित है, उसका नाम प्रेमपुरा है। दरअसल, एक समय में यहां बड़ी संख्या में झाड़ियां ही झाड़ियां हुआ करती थी. तो झाड़ियों से झाड़ और खंड अर्थात क्षेत्र को मिलाकर इस मंदिर का नाम झाड़खंड महादेव मंदिर पड़ा।
सारणेश्वर महादेव मंदिर राजस्थान के सिरोह जिले में स्थित है। यहां पर महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2024) व सावन के महीने में भक्तों का भारी तांता लगा रहता है। सारणेश्वर महादेव मंदिर कट्टर शासक अलाउद्दीन खिलजी को भी पीछे हटने पर मजबूर होने का कारण बना था। कहा जाता है कि इस मंदिर के पीछे की बावड़ी के जल से खिलजी के शरीर का रोग दूर हो गया था जिसके बाद उसने इस मंदिर में तोड़फोड़ करने की हिम्मत नहीं की।
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जलंधरनाथ महादेव मंदिर जालोर दुर्ग पर स्थित है। इसमें सोमनाथ के शिवलिंग के अंश को पूजा जाता है। इस मंदिर को सोमनाथ महादेव भी कहा जाता है। जालोर के इतिहास के अनुसार 13वीं शताब्दी में जालोर में राजा कान्हडदेव सोनगरा चैहान के शासनकाल के समय अलाउद्दीन खिलजी सोमनाथ आक्रमण के बाद जालोर होकर गुजरा था।
आपेश्वर महादेव मेंदिर जालोर में स्थित है जहां शिव प्रतिमा की पूजा की जाती है। यह मनोहारी आदमकद प्रतिमा है। आपेश्वर महादेव की यह आदमकद मूर्ति विक्रम संवत 1318 में एक खेत में हल चलाने के दौरान मिली थी। मूर्ति के अपने आप प्रकट होने की वजह से इसका नाम आपेश्वर महादेव पड़ा।
सलारेश्वर महादेव मंदिर राजस्थान के डूंगरपुर में स्थित है। यहां पर महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2024) व सावन के महीने में भक्तों की भारी भीड़ लगती हे। सलारेश्वर महादेव मंदिर में शिवभक्त संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते है। जिस भक्त की इच्छा भगवान भोलेनाथ पूरी करते है वो यहां पर पत्थर से बने नंदी चढ़ाते है। इसी वजह से यहां नंदी के ढेर लगे हुए है।
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