Mayad Bhasha Divas: प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को विश्व मायड़ भाषा दिवस मनाया जाता है। मायड़ भाषा यानि राजस्थान की भाषा, राजस्थानी भाषा जिसे आज लगभग 12 करोड़ लोग समझते और बोलते हैं। इस दिवस पर बहुत से सेलेब्रिटीज ने सोशल मीडिया पर बधाई संदेश भी दिए हैं। जयपुर की महापौर सौम्या गुर्जर ने भी X पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए बधाई दी है।
मायड़ भाषा मावड़ी ई सूं म्हाने हेत, ईण पर तनड़ो मनड़ो वारां ज्यूँ वीर हुवै रणखेत ।
आप सगळा न #अंतरराष्ट्रीय_मायड़_भाषा_दिवस री मोकळी बधाइयां व शुभकामनावां। 🪷🙏 pic.twitter.com/azos5gj1zB
— Dr Somya Gurjar (@drsomyagurjar) February 21, 2024
किसे कहते हैं मायड़ या राजस्थानी भाषा
वैसे तो राजस्थान में हर दस कोस पर भाषा और भाषा बोलने का तरीका बदल जाता है। फिर भी कुछ बातें हैं जो सभी में कॉमन हैं। इसी के आधार पर राजस्थानी भाषा (Mayad Bhasha Divas) को पहचाना जा सकता है।
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इस संबंध में राजस्थानी कवि कन्हैयालाल सेठिया की एक भावपूर्ण कविता है जो कुछ इस प्रकार है
मेवाड़ी, ढूंढाड़ी, वागड़ी,
हाड़ोती, मरुवाणी।
सगळां स्यूं रळ बणी जकी बा
भाषा राजस्थानी।
रवै भरतपुर, अलवर अळघा
आ सोचो क्यां ताणी!
हिन्दी री मां, सखी बिरज री
भाषा राजस्थानी।
जनपद री बोल्यां है मिणियां
राजस्थानी भाषा को नहीं मिली संवैधानिक मान्यता (Rajasthan Bhasha Divas)
यह एक विडंबना ही है कि आज भी राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता नहीं मिल पाई है। दुनिया भर में फैले ये करोड़ों राजस्थानी अपनी मातृभाषा को राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए आज भी लड़ रहे हैं। आज से 20 वर्ष पूर्व 25 अगस्त 2003 को राजस्थान विधानसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव भी पास किया गया था जिसमें राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने का आह्वान किया गया था।
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कैसे बढ़ावा दे सकते हैं मायड़ भाषा को
एक सर्वे के अनुसार कुछ भाषाओं के बढ़ते वर्चस्व के चलते स्थानीय भाषाएं धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं। राजस्थानी भाषा की स्थिति वर्तमान में बहुत बेहतर है फिर भी एजुकेशन और जॉब सेक्टर में बढ़ते अंग्रेजी के प्रभाव के चलते लोग राजस्थानी भाषा से दूर हो रहे हैं।