Fortis Hospital: राजस्थान में फर्जी एनओसी के जरिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में लगातार बड़े खुलासे हो रहे है और अब इसकी रिपोर्ट में ऐसे खुलासे हुए जिसके बाद जयपुर का फोर्टिस अस्पताल सबसे बदनाम अस्पताल बना है। (Organ Transplant Fake NOC Case) की विभागीय जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद हैरान करने वाले खुलासे हुए है। राज्य स्तरीय कमेटी ने जांच पूरी करने अपनी रिपोर्ट चिकित्सा विभाग को सौंप दी है।
जिम्मेदार अधिकारियों पर गिरी गाज
ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में अब तक कई लोगों की गिरफ्तारी के साथ कई अधिकारियों पर गाज गिरी है। सरकार ने एसएमएस के अतिरिक्त अधीक्षक राजेंद्र बागड़ी को निलंबित कर दिया है। डॉ राजीव बगरहट्टा और डॉ अचल शर्मा को नोटिस जारी किया है।
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रिकॉर्ड जब्त
चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने बताया की गड़बड़ी के बाद विभाग ने जांच कमेटी का गठन किया था। जांच के दौरान पता चला है कि 15 अस्पतालों में ह्यूमन ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। इनमें 4 सरकारी और 11 प्राइवेट हॉस्पिटल शामिल थे। फर्जी एनओसी का मामला सामने आने के बाद इनका रिकॉर्ड जब्त किया और जांच में ये भी में पता चला है कि एक साल में 945 ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुए हैं।
प्राइवेट हॉस्पिटल सबसे आगे
ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में सरकारी अस्पतालों में कम और प्राइवेट हॉस्पिटल में ज्यादा किए गए है। अब तक 900 से ज्यादा का रिकॉर्ड मिल चुका है, 882 किडनी और 51 लीवर के ट्रांसप्लांट केस है। ट्रांसप्लांट के 269 केस थे, जिनमें डोनर और रिसीवर रिश्तेदार नहीं थे।
विदेशियों का ट्रांसप्लांट हुआ
एक साल में 170 से ज्यादा ट्रांसप्लांट विदेशी नागरिकों के हुए जो कि जयपुर के चार बड़े अस्पतालों में हुए। सबसे ज्यादा फोर्टिस अस्पताल, दूसरे नंबर पर ईएचसीसी फिर मणिपाल हॉस्पिटल में और महात्मा गांधी अस्पताल में ट्रांसप्लांट के केस हुए हैं। एसीबी ने एक शिकायत के आधार पर SMS हॉस्पिटल में छापा मारकर फर्जी एनओसी के दस्तावेज बरामद किए थे।
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जांच बंद नहीं हुई
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि रिपोर्ट भले आ गई हो, लेकिन जांच बंद नहीं हुई है। पुलिस और एसआईटी को सभी दस्तावेज उपलब्ध कराएगा और जांच में पूरा सहयोग होगा। इसके कारण इस गोरखधंधे से जुड़े सभी आरोपियों के चेहरे बेनकाब हो सकेंगे।