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शून्य से शिखर तक सिर्फ मां, शून्य से शिखर तक टाॅक शो का आयोजन

मां वो शब्द है जो जीवन में चाहे कोई भी उम्र हो या कोई भी मुश्किल हो सबसे पहले याद आता है। मां को प्रणाम करने और उसका धन्यवाद करने के लिए यूं तो किसी एक दिन की जरूरत नहीं होती फिर भी मां को कुछ खास एहसास देने के लिए और उसके लिए कुछ खास करने के लिए मदर्स डे मनाया जाता है। इसी दिन को और यादगार बनाने के लिए माॅर्निंग न्यूज, ईवनिंग प्लस और morningnewsindia.com की ओर से मदर्स डे शून्य से शिखर तक टाॅक शो का आयोजन किया गया।

संस्थान कार्यालय में हुए इस आयोजन में शहरभर से हर फील्ड में अपना नाम बनाने वाली मां और अपने बच्चों के लिए हर पल संघर्ष कर उन्हें मुकाम तक पहुंचाने वाली मातृ शक्ति एकत्रित हुई। जहां उन्होंने अपने अनुभव और अपने जीवन का संघर्ष बयां किया। हर मां ने अपने जीवन में आई परेशानियों से कैसे पार पाया यह भी बताया। यही नहीं समाज में पिछले कुछ समय में कितने बदलाव आए हैं और कैसे उनसे एक मां का जीवन बदल रहा है, यह भी बताया। कैसे एक मां अपने बच्चे को जीवन का हर सुख देने के लिए समाज से लड़ सकती है यह भी बताया। मां को सलाम करने के लिए संस्थान की ओर से मदर्स डे पर हर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिसमें शिक्षाविदों, संगीतकारों, कवियों के साथ पिछले सप्ताहों हुए कार्यक्रम के बाद इस शुक्रवार को हर क्षेत्र से जुड़ी मातृ शक्ति एकत्रित हुई।

इस अवसर पर मूर्ति मीणा, माधुरी कुमार, आरती माथुर, सीमा सेठी, अलका चैधरी, रोहिणी कुमावत, हेमलता कुशवाहा, चंदा कुमावत, मिनाक्षी चैधरी, सिमरन कुमावत, संतोष अग्रवाल, नीलम कुमावत, हिना वाधवानी, नीलिमा सक्सैना, एडवोकेट मीना जैन, अनीता सिंह, ममता डढ्ढा, मधुश्री चटर्जी, संतोष कुमावत, राज कंवर, आशा कुमावत, नीलम कुमावत आदि एकत्रित हुई। जिन्होंने अपने जीवन के संघर्षों और मां और बच्चों के बीच के संबंधों को बयां किया। कार्यक्रम के अन्त में संस्थान के जनरल मैनेजर किशन शर्मा ने सभी अतिथियों का स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन अम्बिका शर्मा ने किया। 

मैदान में संघर्ष से शिखर पर पहुंचना सिखाया मां ने 
मॉर्निंग न्यूज इवनिंग प्लस मातृ दिवस के उपलक्ष्य पर अपने विचार व्यक्त करते हुए परिवार और समाज में संतुलन, सामंजस्य स्थापित करने की बात कही। शिक्षिका के रूप में उन्होंने अपने बच्चों को सैनिक की तरह तैयार किया। दुनिया के इस मैदान में संघर्ष से शिखर पर लड़ना सिखाया। बच्चों की सफलता, उनकी खुशी में ही मां की खुशी है। परिवर्तन के इस दौर में उन्होंने अपना स्थान बनाते हुए परिवार और कार्य के बीच संतुलन स्थापित किया। साथ ही अंडर प्रिविलेज बच्चों के लिए भी वे निस्वार्थ सेवा भाव से कार्य करती है।
ममता डढ्ढा

मां को कोई मिटा नहीं सकता
मां पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि मां को कोई मिटा नहीं सकता। मां धरती स्वरूप है। मा ही देवी है, उसी से घर और परिवार बनता है। मां की अंगुली पकड़कर बच्चा खड़ा होना सीखता है। आज मातृशक्ति हर क्षेत्र में आगे बढ़ कर अपना योगदान दे रही है। आज से पूर्व यह सब संभव नहीं था। लेकिन अब मां भी आगे आ रही है। शून्य से शिखर तक पहुंचने में मां की भागीदारी कभी नहीं भुलाई जा सकती।
मुर्ति मीणा

मां है हर समस्या का हल 
अपने कार्य और परिवार में संतुलन स्थापित करते हुए समाज के लिए बेहतरीन कार्य करना इनका प्राथमिक उद्देश्य है। इनका कहना है, बचपन में अभाव के बीच बड़े होने के बाद भी, वे खुश है और परिवार तथा कार्य के बीच संतुलन स्थापित करती है। बेटे-बेटी में बराबरी की समर्थक हैं। एक बेटी की भूमिका के रूप में उन्होंने अपनी मां को बेहतर रूप से समझा और जाना। उनका दिया हुआ ज्ञान उन्हें अगली पीढ़ी में पहुंचाया। परिवार समाज में सामंजस्य स्थापित करते हुए। यह शून्य से शिखर पर पहुंची। संयमित दिनचर्या की बात करते हुए बच्चों को संस्कारवान बनाने पर बल दिया। संतोष अग्रवाल महिला मंडल की अध्यक्ष हैं और अब समाज सेवा में अग्रणीय भूमिका निभा रही हैं।
संतोष अग्रवाल

हर विकट समस्या का हल है मां 
जब संसाधन उपलब्ध हो तो संघर्ष में इतनी समस्याएं नहीं आती। लेकिन संसाधनों के अभाव में जब दुनिया में मां अकेली रह जाती है। तब उसकी समस्याएं विकट ही नहीं विकराल भी हो जाती हैं। ऐसी ही संघर्ष की कहानी है, हेमलता की। वे अपने नन्हे-मुन्ने बच्चों को लेकर ऑटोड्राइविंग करती हैं। इस यात्रा में उन्हें कितनी परेशानियां झेलनी पड़ती है? उन्होंने सांझा की। उन्होंने बताया हर तीसरा आदमी उन्हें गंदी नजर से देखता है। एक रात के लिए खुश कर दो, जैसे प्रलोभन देता है। उन्हें यह भी शर्म नहीं आती कि इस मां की गोद में एक बच्चा है। वे तो दुखी होकर सुसाइड भी करना चाहती थी। लेकिन उसी समय अपने बच्चे की तस्वीर उनकी आंखों के आगे उनके बच्चे छा गये और वे संघर्षपूर्ण जीवन की ओर अग्रसर हुई।
हेमलता कुशवाहा

मां है ईश्वर का रूप 
एक प्रोफेसर रही हूं शुन्य से शिखर की यह उनकी सेकंड पारी है। जिसमें अब वे समाज, सोसायटी के लिए कुछ करना चाहती हैं। इस समय माधुरी पर्यावरण के प्रति सजग और सतर्क रहते हुए ऑर्गेनाइजेशन चलाती हैं। मां पर अपने विचार व्यक्त करते हुए। उन्होंने कहां हमने ईश्वर नहीं देखा। इसीलिए मां को पृथ्वी पर आना पड़ा। मां का दर्जा कहीं ना कहीं ईश्वर से भी बढ़कर है।
माधुरी कुमार

बच्चों के लिए हर पल अपडेट
एक मां के रूप में अपने अनुभव साझा करते हुए। उन्होंने कहा, सब कुछ सहना कुछ ना कहना, मां की ही पहचान है। एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाली अलका के जीवन में एक टर्निंग प्वाइंट आता है। जब उन्हें फिर से अपनी संघर्षपूर्ण यात्रा शुरू करनी पड़ती है। ऐसे में परिवार और समाज के बीच सामंजस्य बैठाना बहुत मुश्किल होता है। कभी-कभी बच्चे आपको ऐसा जवाब दे देते हैं कि आप अंदर तक झकझोर जाती हैं। शायद ऐसा अक्सर होता है? जब बच्चे कहते हैं आपने हमारे लिए किया ही क्या है? आप कुछ जानती ही नहीं। ऐसे में अलका महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए डिजिटली अपडेट रहने की सलाह देती है।
अलका चैधरी

मां के जीवन में अनेकों पड़ाव 
मॉर्निंग न्यूज में अपने विचार व्यक्त करते हुए अपने संघर्षपूर्ण यात्रा का विवरण दिया। राजनीति जैसा चुनौतीपूर्ण सफर उन्होंने तय करते हुए शून्य से शिखर तक की यात्रा जारी रखी है। उन्हें राजनीति की कोई समझ नहीं थी। फिर भी उन्होंने चुनाव लड़ा और वे जीती भी। मां के जीवन में बहुत से पड़ाव आते हैं। जब उसे निर्णय लेने पड़ते हैं ऐसे में मां की यात्रा बहुत संघर्ष होती है।
राज कंवर

हर त्याग होता है मां को स्वीकार
मॉर्निंग न्यूज इवनिंग प्लस को धन्यवाद देते हुए अपने विचार साझा किये। उन्होंने बताया उनके बच्चे उनसे सभी बातें साझा करते हैं। वह अपने बच्चों की सिर्फ मां ही नहीं, उनकी दोस्त भी है। लेबर पेन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, एक मां अपना पूरा दर्द भूल जाती है। जब वह मां बनती है। शादी के लगभग 8 साल बाद जीवन का सफर अकेले तय करते हुए। उन्होंने गवर्नमेंट जॉब से रिजाइन कर अपने परिवार और समाज को समय देने की ठानी।
नीलिमा सक्सेना

माता पिता को प्रणाम करना है आदत 
मदरहुड को डिवाइन पावर से संबोधित कर अपनी बात की शुरुआत की। उनका कहना है कि जो महिलाएं 1 घंटे में एक ही काम कर पाती है वे मां बनने के बाद 1 घंटे में पांच काम आसानी से कर लेती है। उनका मानना है की मां बनने के बाद उन्हें एक अलग ऊर्जा का आभास होता है। अपनी दिनचर्या की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया वह जहां काम करती है वहां 8 से 10 स्टाफ मेंबर को अकेले संभालती है साथ ही उनके घर पर उनके बच्चे अभी काफी छोटे हैं और उन्होंने एक पालतू कुत्ता भी है जिसे संभालना उन्हीं की जिम्मेदारी है। इसके बावजूद वह हर्ष है अपने मां-बाप को प्रणाम करना नहीं भूलती। मां एक बड़ी शक्ति है इसका एहसास उन्हें खुद मां बनने के बाद हुआ ऐसा उनका कहना है।
मीनाक्षी चैधरी

मां की सीख है याद 
बचपन में वह सात भाई बहन थे। और उनकी मां ने उन्हें बहुत संघर्षों से पाला था। अपनी मां सीख लेकर उन्होंने तय किया कि जो मुश्किल है उन्हें झेलनी पड़ी वे अपने बच्चों को नहीं झेलने देंगी। इसी इरादे के साथ उन्होंने अपने बच्चों को चंडीगढ़ भेजा पढ़ने के लिए। आज उनके बच्चों ने एक अच्छा मुकाम हासिल किया है। फुटपाथ के बच्चों को जीना सिखाती है।
चंदा कुमावत 

मां अपने आप में पूर्ण 
मां अपने आप में एक पूरा शब्द है। जो पॉजिटिविटी का एहसास कराता है। उनका मानना है कि मां के बिना कुछ भी संभव नहीं है इस बात को समझाते हुए उन्होंने कहा कि जब हम मैदान में उतरते हैं तो धरती मां को स्पर्श कर आगे बढ़ते हैं। जी स्पेशल मदर्स डे नहीं बनाती है क्योंकि उनके रोम रोम में उनकी मां बसती है। अपना एक किस्सा सुनाते हुए बताया कि उनका आंचल ऑर्फन होम है जहां हर बच्ची उन्हें मां पुकारती है। उन्हें इस बात बहुत गर्व महसूस हुआ था जब उनके ऑर्फनेज एक बच्ची ने अपना नाम चिड़िया सीमा सेठी बताया था।
सीमा सेठी 

आंखों से छलकता है मां का प्यार 
मां शब्द बहुत विशाल है। क्योंकि एक मां के लिए छोटे बच्चों की आंखों से छलका प्यार ज्यादा प्यारा होता है। एक मां 9 महीने अपनी खुशियां छोड़कर बच्चे के लिए जीती हैं। एक मां सिर्फ माही नहीं होती चाय की प्याली से लेकर खुद का टिफिन बनाती है। एडजस्टमेंट इतना करती है कि सबका पेट भर कर खुद थोड़ा जो बचा होता है वही ले लेती है। उनका मानना है कि ईश्वर को नहीं देखा तो क्या हुआ मां को तो देखा है ना।
मधुश्री चटर्जी

जिंदगी का हर तोहफा मेरे कान्हा
मां एक मुश्किल शब्द है कहकर शुरुआत की। वे बच्चों की रोड सेफ्टी पर काम करती है। उनका मानना है कि हम जब छोटे बच्चे होते हैं तभी समझ नहीं पाते मगर जब मां बनते हैं तब सोच बदलती है। पूरा जीवन अपना बच्चों पर निसार कर देते हैं मगर जब बच्चे बड़े हो जाते हैं और आगे कहीं दूर चले जाते हैं तब उनके पास हमारे लिए समय नहीं होता तब हम यह बात सोचते हैं कि हमने क्या पाया? अपनी बात को समझाने के लिए उन्होंने एक कविता का सहारा लिया। 
हिना वाधवानी

सास को भी मां को प्यार दे 
उनका कहना है मां से बड़ा दुनिया में कोई दुख नहीं होता है। मां से ज्यादा इस दुनिया में कोई संघर्ष नहीं करता है। उन्हें अपनी मां का रूप केवल अपनी मां में ही नहीं अपनी सास में भी नजर आता है। बताया हर कदम पर उनकी मां जैसी सास का हमेशा उन्हें साथ मिलता है।
संतोष कुमावत

मां वरदान है 
मां को भगवान का दर्जा सभी देते हैं। उन्होंने भी अपनी बात की शुरुआत इसी वाक्य से की। मां धरती पर एक वरदान है।
नीलम कुमावत

हमेशा निस्वार्थ रहता है प्यार 
आप मां शब्द को ना बोल सकते ना बांध सकते हैं मां ही वह शब्द है जो हमें ईश्वर ने दिया है मां का हमको एहसास होता है बच्चा कैसा है। बच्चों के साथ फ्रेंडली व्यवहार के साथ रहना और हमेशा पॉजिटिव और हैप्पी रहती मां को सर्वोपरि मानना चाहिए। मां जो बच्चों से प्यार करती है वह हमेशा निस्वार्थ रहता है। मां का स्थान भगवान के समान माना जाता है।
आरती माथुर 

खुद मां बनी तो मुझे एहसास हुआ
भारत रक्षा मंच पर जा चुकी हूं और मां अकल्पीय और अंधरूनी होती है यह मेरा मानना है। मां ने ही मुकाम तक पहुंचाया है। जब मैं खुद मां बनी तो मुझे एहसास हुआ कि एक मां को अपनी लाइफ में कितना सैक्रिफाइस करना पड़ता है। अब एहसास हुआ कि मेरी मां हमारे लिए कितना त्याग किया है मेरी मां ने हमारे लिए अपनी मनपसंद चीजों का हमेशा खुशी से त्याग किया। 
मीना जैन एडवोकेट

मां ने दिया साथ 
मां हमको मोटिवेट करती है अपना परिवेश देती है और हमेशा पॉजिटिव रहती है। फुलेरा के रहते हुए मैं पावर लिफ्टिंग के नेशनल खिलाड़ी हूं। पहले जिम मे वेट कम करने जाती थी फिर धीरे-धीरे वेटलिफ्टिंग करने लग गए वेटलिफ्टिंग में गोल्ड मेडल है जब वह टूर्नामेंट खेलने जाती तो बॉयस के साथ जाते थे तो समाज वालों को प्रॉब्लम होती थी। जब मैं टूर्नामेंट खेलने जाती तो मां जब भी बोलती थी कि तुम जाओ बेटा खेलने यहां पर हम देख लेंगे उनकी मां हर कदम पर साथ देती थी।
आशा कुमावत
  
बच्चों के लिए कुछ भी कर सकती है
सामाजिक कार्य में अपना जीवन समर्पित करने वाली और बच्चों को सिखाती है हमेशा अपने मां की केयर किया करो। अपने बच्चों के लिए जॉब छोड़ दी वह अभी सब बच्चों की मां है उनके घर वालों को दोष दिया जाता है कि तेरी मां ने क्या सिखाया है क्या सीख आई है। फिर भी मां अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर सकती है। 
अनीता सिंह

मां प्यार की मूरत है
प्रेरणा का सागर है मां प्यार की मूरत है मां, मां की कदर करें भावनाओं को समझो और हर कदम पर साथ दें वहां को टाइम दे कहने में तो मां शब्द पहेली और जो आज छुट्टी है उसको भी मानचित्र रहता है आपको ताकत देती है आपका साथ देती है आपको आप जो करना चाहते हैं उसमें सपोर्ट करती है और अपनी मां का मान सम्मान और एक बनाए रखें अपनी सास को भी अपनी मां की तरह समझें। 
सिमरन कुमावत 

मां हर परेशानी का साॅल्यूशन
सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल हैं और एक नहीं कई बच्चों की मां खुद को मानती हैं। उनकी मां और सास में हर कदम पर साथ दिया है। मां हर जगह पर उनकी हर प्रॉब्लम में साथ देती हैं और हर परेशानी का साॅल्यूशन निकालती है।
रोहिनी कुमावत 

Ambika Sharma

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