जयपुर। जयपुर नगर निगम हेरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर पर एक बार फिर से गाज गिर गई। मुनेश गुर्जर ने मेयर पद के साथ-साथ पार्षद का पद भी गवा दिया। मुयर मुनेश गुर्जर मामले को लेकर सियासत एक बार फिर गर्मा गई है। मुनेश गुर्जर और मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास का सियासी झगड़ा बढता हुआ नजर आ रहा है। मुनेश गुर्जर को दूसरी बार सस्पेंड कर दिया गया है। मुनेश ने हाईकोर्ट में सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ कर पद हासिल किया था। और अब फिर से मुनेश गुर्जर ने अपना पद गवा दिया है। जिसके बाद जयपुर की सियासत मे चर्चाओं का बाजार गर्मा गया है।
पद के दुरूपयोग का दोषी
मेयर पति सुशील गुर्जर को कुछ दिनों पहले एसीबी ने पकड़ा था। ऐसे में जांच करते हुए मुनेश को पद के दुरूपयोग का दोषी पाया गया। जिसके बाद मुनेश गुर्जर को स्वायत्त शासनस विभाग ने सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए। प्रशासनिक जांच में दोषी पाए जाने के बाद मेयर को पद से सस्पेंड किया गया है। एसीबी ट्रैप मामले मे मेयर पति सुशील गुर्जर को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है।
पद से निलंबित
5 अगस्त को मेयर पति सुशील गुर्जर को एसीबी ने ट्रैप किया था। इस दौरान एसीबी को मेयर के घर में 40 लाख रूपए नकद मिलने के साथ ही पट्टे बरामद हुए थे। जिसके बाद मेयर मुनेश गुर्जर को पद से निलंबित कर दिया गया था। इस मामले में मेयर को दोषी मानते हुए जिम्मेदार ठहराया गया था। सरकार की और से डीएलबी से इस मामले में जांच करवाई गई।
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आरोपों को सिरे से नकार
मेयर मुनेश गुर्जर से डीएलवी ने 17 अगस्त तक पूरे मामले को लेकर नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। जिस पर मेयर ने खुद को निर्दोष बताते हुए जमीन से जुडी राशि बताई थी। और एसीबी के आरोपों को सिरे से नकार दिया। हालांकी इस मामले में अभी भी प्रशासनिक जांच के साथ ही न्ययायिक जांच भी करवाई गई है। इस मामाले में न्ययिक जांच अभी भी चल रही है। स्वायत्त शासन विभाग ने सस्पेंशन आदेश में लिखा है कि न्यायिक जांच को मेयर पद पर रहते हुए प्रभावित कर सकती है।