Rajasthan Muslim Reservation: मुस्लिम आरक्षण को लेकर राजस्थान में जबरदस्त बवाल मचना शुरू हो गया है और राजनीतिक बहस भी शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा नेताओं के बयान में यह बात हमेशा कही जा रही है कि आने वाले दिनों इसको लेकर बड़ा फैसला होगा। पिछले दिनों मंत्री अविनाश गहलोत ने इशारे में इस बात को कह दिया है कि जल्द ही इसको लेकर फैसला किया जाएगा। भजनलाल सरकार ओबीसी में शामिल मुस्लिम जातियों के आरक्षण की समीक्षा करवाने की बात कह चुकी है।
4 जून के बाद होगा फैसला
लोकसभा चुनावों के चलते प्रदेश में चुनावी आचार संहिता लगी हुई है और इसके हटने के बाद एक हाई पावर कमेटी द्वारा मुस्लिम जातियों के ओबीसी कोटे का रिव्यू करवाया जाएगा। इस बात को लेकर कई प्रकार की सवाल खड़े हो रहे हैं और इसके कारण इस पर चर्चा हो रही है।
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देश को बांटने का आरोप
सरकार के इस ऐलान के बाद कई मुस्लिम नेताओं के बयान आने शुरू हो गए है। कांग्रेस नेता और राज्य वक्फ बोर्ड चेयरमैन खानू खान बुधवाली ने कहा, धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया गया। इसका लाभ सामाजिक आर्थिक आधार पर दिया गया है। भाजपा केवल धर्म के नाम पर देश को बांटना चाहती है और अब आरक्षण का सहारा ले रही है।
अदालत का लेंगे सहारा
सरकार इसको लेकर कोई फैसला करती है तो कई मुलिस्म नेता कोर्ट जाने की बात कह रहे हैं।
केंद्र की OBC सूची में भी आते हैं और गद्दी मुस्लिम जाति को आरक्षण धार्मिक आधार पर नहीं बल्कि आर्थिक- पिछड़ेपन के आधार पर दिया है।
14 मुस्लिम जातियों के आरक्षण पर संकट
कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश के बाद राजस्थान में ओबीसी में शामिल 14 मुस्लिम जातियों का रिव्यू करवाने जा रही है। जिनमे सिंधी-मुसलमान,चौबदार, कोटवाल, कसाई,खेलदार, बीसायती, मेव,मिरासी,कठात धोबी-मुसलमान,गढीत- नागोरी,कायमखानी, गद्दी, देशवाली, मनिहार शामिल हैं।
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